अदृश्य स्कूल में पढ़ाई कर पाई नौकरी... 36 साल बाद बर्खास्त -- -- -एक्सक्लूसिव
जहीर हसन, जागरण, बागपत। बेसिक शिक्षा विभाग में एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है। जो स्कूल जमीन पर था ही नहीं, उसमें पढ़ाई कर शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति हासिल की। अब 36 साल बाद भेद खुलने पर जांच के बाद बीएसए ने कर्मचारी सुरेंद्र शर्मा को बर्खास्त कर दिया। कमाल की बात है कि बेसिक शिक्षा विभाग में उसकी नियुक्ति की फाइल नहीं मिली, लेकिन वह 36 साल तक वेतन लेता रहा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बीएसए मेरठ कार्यालय से सात मार्च 1989 को सुरेंद्र शर्मा की चतुर्थ श्रेणी पद पर परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूल ढिकाना में नियुक्ति हुई। बीएसए गीता चौधरी ने बर्खास्तगी आदेश में कहा कि 19 अक्टूबर 2023 को बीएसए कार्यालय को शिकायत मिली कि सुरेंद्र ने विभाग को गुमराह कर नौकरी पाई है। बीईओ बड़ौत ने जांच के लिए सुरेंद्र से शैक्षिक प्रमाण पत्र मांगे। सुरेंद्र ने बताया कि उसकी नियुक्ति उप विद्यालय निरीक्षक मेरठ ने की थी और तभी वहां कक्षा आठ की मूल टीसी जमा कराई थी।
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बीएसए बागपत ने बीएसए मेरठ से सुरेंद्र की नियुक्ति की मूल फाइल मांगी। बीएसए मेरठ ने नौ फरवरी 2024 को बताया कि जिला सृजन के बाद सभी फाइल बागपत को भेज दी थी, जबकि बीएसए कार्यालय बागपत को उनकी नियुक्ति संबंधी फाइल नहीं मिली। बीईओ ने उसे शैक्षिक प्रमाण पत्रों की द्वितीय प्रतिलिपि लाने को कहा, मगर उसने बताया कि स्कूल लंबे समय से बंद है। बीईओ ने 19 अप्रैल 2024 को अग्रिम आदेश तक उसका वेतन रोक दिया।
सुरेंद्र ने 24 अक्टूबर 2024 को जीवन साधना शिशु वाटिका बड़ौत की कक्षा आठ उत्तीर्ण टीसी की छायाप्रति उपलब्ध कराई। बीएसए ने कहा कि कक्षा आठ की टीसी वर्ष 1982 की है, जबकि जीवन साधना शिशु वाटिका बड़ौत को कक्षा छह से आठ की मान्यता 10 जनवरी 2003 को मिली थी। साफ है कि जब उसने कक्षा आठ उत्तीर्ण की तब स्कूल अस्तित्व में ही नहीं था। 24 सितंबर को बीएसए ने सुरेंद्र शर्मा की सेवा समाप्त कर दी।
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