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बरेली से उठी सनसनी: फर्जी बिलों से अरबों की उगाही, आयुष्मान योजना बनी कमाई का जरिया

deltin33 2025-11-14 08:36:15 views 937
  



अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। आयुष्मान कार्ड के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह ने हजारों गरीबों के मुफ्त इलाज का हक छीन लिया है। स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) ने जिस तरह से इस गड़बड़ी में यहां के कई हास्पिटलों को पकड़ा है और उसमें से एक को अपनी लिस्ट तक से निलंबित कर दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उससे इतना तो साफ है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लेकर जिले में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। वहां तक स्वास्थ्य विभाग के हाथ या तो पहुंच नहीं पा रहे या फिर इस घपलेबाजी के इस खेल में वह भी शामिल हैं। जबकि बड़ी तादाद में पात्र लाभार्थी पोर्टल और अधिकारियों के पास शिकायतें करते थक-हार रहें हैं, लेकिन उनके कार्ड नहीं बन पा रहे।

आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए सर्वे के बाद सूची में 14 लाख 77 हजार से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था। रिकार्ड में 12 लाख से ज्यादा लोगों के कार्ड बनाए जाने की एंट्री दर्ज है। करीब 20 प्रतिशत लोगों के कार्ड अब तक नहीं बनाए गए हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बनाए जाते हैं।

साचीज ने इसमें बड़ा खेल यह पकड़ा कि तमाम फर्जी दस्तावेज और गलत मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके बड़े स्तर पर अपात्रों के न केवल आयुष्मान कार्ड बना दिए गए, बल्कि इसमें कई अस्पताल संचालकों ने भी फर्जी बिल-बाउचर लगाकर उगाही की। अब भंडाफोड़ हुआ है तो कई अस्पताल निशाने पर आ गए हैं।

साचीज ने एक अस्पताल को तो अपनी सूची से ही निलंबित कर दिया है। जबकि पांच अन्य हास्पिटलों को निशाने पर लेते हुए उन्हें नोटिस तक जारी किए गए है। शासन उनके जवाब से अगर संतुष्ट नहीं होता तो उन पर भी बड़ी कार्रवाई होना तय है। खास ये है कि पकड़े गए ये निजी हास्पिटल तो सिर्फ चिह्नित हुए हैं, जबकि यह खेल तमाम बड़े से लेकर छोटे अस्पतालों में भी चल रहा है।

इससे स्वास्थ्य विभाग की इस योजना की फंडिंग में जमकर घोटाला किया जा रहा है। जबकि बड़ी तादाद में उन गरीबों से फ्री इलाज नहीं मिल पा रहा, जो पात्र होने के बावजूद कार्ड के लिए काफी समय से धक्के खा रहे हैं।
15-20 हजार लेते दलाल, सब हो जाता काम

आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए संगठित गिरोह काम कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसमें स्वास्थ्य विभाग के भी कई अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कार्ड बनवाने के लिए स्थायी पात्रता सूची में नाम, आधार संख्या, मोबाइल नंबर सहित कई औपचारिकताएं पूरी कराई जाती हैं। जबकि दलाल 15-20 हजार रुपये लेकर बगैर किसी प्रक्रिया के कुछ ही दिन में कार्ड बनवाकर दे देते हैं।
आयुष्मान को लेकर हर दिन आ रहीं शिकायतें

नवाबगंज के बिहारीपुर पीतमराय के दिनेश कुमार पुत्र भगवती प्रसाद ने शिकायत की कि उनकी पत्नी आशा काफी दिनों से गुर्दा की बीमारी से पीड़ित हैं। इलाज के लिए उन्होंने कृषि भूमि भी बेच दी है। अब इलाज के लिए रकम नहीं है। जबकि आयुष्मान कार्ड अब तक नहीं बन सका है। इसी तरह मीरगंज के सिंधौली निवासी प्रवीण कुमार ने भी आयुष्मान योजना को लेकर शिकायत की थी।

इसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी व नोडल ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत एसईसीसी 2011 की डेटाबेस के आधार पर सूची में शामिल लोगों के ही कार्ड बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा तमाम और भी शिकायतें स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंच रही हैं, जिसमें पात्र और मजबूर व्यक्तियों को लाभार्थी न मानकर उनसे किनारा किया जा रहा है।
निजी अस्पतालों को 8.09 अरब से ज्यादा का हो चुका पेमेंट

आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 5.14 लाख से ज्यादा लाभार्थियों का इलाज कराया जा चुका है। इसके एवज में निजी अस्पतालों ने 8.99 अरब रुपये से ज्यादा के बिल-बाउचर भुगतान के लिए लगाए थे। जांच करने के बाद 8.09 अरब का पेमेंट भी सरकार की ओर से जारी किया जा चुका है। रिकार्ड के मुताबिक यह पेमेंट अस्पतालों की ओर से दावा की गई धनराशि का करीब 90 प्रतिशत है।
आयुष्मान भारत पीएम जनआरोग्य योजना पर एक नजर
3,49,970परिवारों के कार्ड बनाने का लक्ष्य
31,40,211परिवारों के कार्ड बनाए जा चुके
14,77,811लोगों के कार्ड बनाने का लक्ष्य
12,09,895लाभार्थियों के बनवाए जा चुके कार्ड
6,24,392पात्र गृहस्थी योजना के लाभार्थियों के बन चुके कार्ड
38,479लाभार्थी, जिनकी 60 वर्ष से ज्यादा हो चुकी आयु
34,317लाभार्थी, जिनकी 70 वर्ष से अधिक हो चुकी आयु


  


सर्वे सूची वर्ष 2011 में नाम अंकित होने वाले लाभार्थियों की पात्रता की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल की जाती है। इसके बाद ही आयुष्मान कार्ड जारी किए जाते हैं। अगर गड़बड़ी की कहीं से शिकायत आती है तो टीम को भेजने के बाद उसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई भी की जाती है।

- डा. राकेश कुमार, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी व नोडल, आयुष्मान भारत
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