search

जीएसटी : ‘स्लीपिंग मॉड्यूल’ फर्मों से अरबों की जीएसटी चोरी, एसआइबी और एसआइटी की बड़ी कार्रवाई

cy520520 2025-11-14 08:36:14 views 601
  



जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। राज्यकर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) और पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआइटी) ने जीएसटी चोरी के नेटवर्क कर परतें खुल रहीं हैं। जांच में सामने आया है कि केरल और दिल्ली में बैठे कारोबारी मुरादाबाद समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दर्जनों फर्जी फर्मों के जरिये जीएसटी चोरी का जाल बुन रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

केवल कागजों पर कारोबार दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के माध्यम से 368 करोड़ रुपये की जीएसटी छूट ली गई। यह पूरा मामला 24 अक्टूबर को सामने आया, जब मुरादाबाद में दो ट्रक स्क्रैप पकड़े गए। जांच में पाया गया कि फर्जी फर्मों ने 1970 करोड़ रुपये का कागजी टर्नओवर दिखाया था। ये फर्में हकीकत में कोई उत्पादन या बिक्री नहीं करती थीं, बल्कि केवल बिलिंग के जरिए एक-दूसरे को खरीद-बिक्री दिखाकर टैक्स लाभ उठाती थीं।

विभाग ने पूरे नेटवर्क को ‘स्लीपिंग माड्यूल’ नाम दिया है। यानी ऐसी फर्में जो केवल कागज पर सक्रिय हैं। उनका वास्तविक कारोबार नहीं है। फिर यहीं से दिल्ली के एसआर ट्रेडर्स से मुरादाबाद मंडल की नौ समेत प्रदेश की 20 फर्मों को छूट की रकम का हिस्सा आनलाइन भेजा गया। अब इन सभी फर्मों के मासिक टर्नओवर, ई-वे बिल आदि चेक होंगे।

जांच के दौरान पता चला कि इस सिंडिकेट की जड़ें केरल तक फैली हुई हैं। वहां की जीके ट्रेडर्स नामक फर्म को फर्जी लेन-देन के आधार पर 27 करोड़ रुपये की आईटीसी छूट मिली। यही फर्म दिल्ली की एसआर ट्रेडर्स से जुड़ी हुई थी, जिसने मुरादाबाद मंडल की नौ फर्मों सहित पूरे प्रदेश की 20 फर्मों को यह रकम आनलाइन ट्रांसफर की।

इस तरीके से केरल से लेकर दिल्ली और फिर मुरादाबाद तक फर्जी टैक्स क्रेडिट का चैनल बनाया गया था। यह पूरा नेटवर्क डिजिटल फ्राड का एक आधुनिक उदाहरण है, जिसमें जीएसटी के ऑनलाइन सिस्टम का दुरुपयोग करके अरबों की कर चोरी की गई। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इस प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू भी सामने आ सकते हैं, इसलिए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से समन्वय स्थापित किया जा रहा है।

मुरादाबाद से खुला यह जीएसटी चोरी का जाल अब राष्ट्रीय स्तर के कर अपराध की शक्ल ले चुका है। केरल से दिल्ली और फिर उत्तर प्रदेश तक फैले इस सिंडिकेट ने सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ का चूना लगाया। अब जांच एजेंसियां इस नेटवर्क के हर ‘स्लीपिंग माड्यूल’ को जागृत कर सबूत जुटा रही हैं। आने वाले दिनों में कई बड़ी गिरफ्तारियां और फर्मों के लाइसेंस निरस्त होने की संभावना है।
कैसे चलता था फर्जी कारोबार का नेटवर्क

सिंडिकेट में शामिल लोगों ने सबसे पहले अलग-अलग राज्यों में कई फर्जी फर्में रजिस्टर कराईं। इन फर्मों के लिए किराए के पते, फर्जी पैन कार्ड, और जाली आधार दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद एक फर्म दूसरी को बिल जारी करती थी, जिससे यह प्रतीत होता था कि वास्तविक माल का लेन-देन हो रहा है। ई-वे बिल तैयार होते थे, परंतु ट्रक या माल वास्तव में कभी चलता ही नहीं था। इस फर्जी बिलिंग के आधार पर आईटीसी का दावा किया जाता था और वास्तविक टैक्स भुगतान से बचा जाता था।
जांच एजेंसियों ने कसना शुरू किया शिकंजा

एसआइबी और एसआइटी की टीमों ने अब सभी फर्मों की बैंकिंग ट्रांजेक्शन, ई-वे बिल और जीएसटी फाइलिंग की जांच शुरू कर दी है। कई खातों को संदिग्ध लेन-देन के चलते फ्रीज किया गया है। विभाग ने फर्जी फर्मों से जुड़ी आईटी सर्विस कंपनियों और जीएसटी कंसल्टेंट्स को भी जांच के दायरे में लिया है।

  


इस प्रकरण की तह तक जाने के लिए तकनीकी जांच और डेटा एनालिसिस का सहारा लिया जा रहा है। प्रत्येक फर्म की डिजिटल गतिविधियों, बिलिंग पैटर्न, बैंक ट्रांजेक्शन और मोबाइल आईपी एड्रेस तक ट्रैक कर रहे हैं। चोरी करने वालों को किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।

- अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड वन राज्यकर मुरादाबाद जोन
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
139855

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com