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हाईकोर्ट की समझाइश के बाद पिता के साथ रहने तैयार हुई युवती, IAS बनने की चाह में छोड़ दिया था घर

cy520520 2025-11-13 22:08:11 views 365
  

मप्र हाईकोर्ट भवन (प्रतीकात्मक चित्र)



डिजिटल डेस्क, भोपाल। मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ की समझाइश के बाद सिविल सर्विस की तैयारी कर रही भोपाल की युवती अपने पिता के साथ रहने के लिए तैयार हो गई। युवती अपने घर से भागकर दूसरे शहर में गुपचुप ढंग से रह रही थी। कोर्ट ने पिता के द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण करते हुए युवती के संरक्षण के संबंध में आदेश कर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने दस माह बाद खोजा


भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र निवासी शख्स की तरफ से हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि उन्होंने बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन महीनों गुजर जाने के बावजूद पुलिस उसे तलाश नहीं कर पाई है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुलिस को युवती की तलाश करते हुए उसे न्यायालय के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे। पुलिस ने इंदौर से उसे 10 महीने बाद बरामद किया तो पता चला कि वह किराये के कमरे में रहते हुए एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही है।
पहले पिता के साथ जाने से कर दिया था इन्कार

पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में उपस्थित युवती ने युगलपीठ को बताया था कि उसके पिता उसे पढ़ाई नहीं करने दे रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे। उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर वह घर से निकल गई और इंदौर में एक निजी कंपनी में नौकरी करके अपना खर्च निकालने लगी। वह सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग कर रही है। वह सिविल सर्विसेज में जाने का सपना संजोए हुए मेहनत कर रही है। युवती ने पिता के साथ नहीं भेजने की गुहार लगाई थी।

पिता की तरफ से हाई कोर्ट को भरोसा दिलाया गया कि वे अपनी बेटी को प्रताड़ित नहीं करेंगे। पिता ने कोर्ट से बेटी को घर भेजने का आग्रह किया। जिसके बाद कोर्ट ने युवती को कहा कि वह चार-पांच दिनों तक अभिभावक के साथ रहकर देखे। अगर माहौल बेहतर नहीं लगे तो कलेक्टर को आदेश देंगे कि वह उसकी बाहर रहने और पढ़ाई की समुचित व्यवस्था कराएंगे।

याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान युवती अपने पिता के साथ रहने के लिए तैयार हो गई। हाई कोर्ट ने युवती को भविष्य को मद्देनजर रखते हुए उसके संरक्षण के संबंध में आदेश पारित करते हुए याचिका का निराकरण कर दिया। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दीपक कुमार रघुवंशी ने पैरवी की।
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