जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ओआरएस नाम से बेचे जा रहे इलेक्ट्रोलाइट पेय पदार्थों के मौजूदा स्टाक को खपाने के लिए एक कंपनी को समय देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया। ओआरएस को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने ओरल रिहाइड्रेशन साॅल्ट (ओआरएस) के रूप में लेबल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि आरोप यह नहीं है कि यह उत्पाद हानिकारक है, बल्कि यह गलत ब्रांडिंग का मामला है। अदालत ने कहा कि जन स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण ऐसे उत्पादों को बाजार में बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पीठ ने याचिकाकर्ता कंपनी कंज्यूमर हेल्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मुश्किल यह है कि ग्रामीण इलाकों में अगर कोई बच्चा दस्त से पीड़ित होता है, तो आमतौर पर वे इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने के लिए ओआरएस खरीदते हैं और कंपनी अपने उत्पाद में इलेक्ट्रोलाइट्स भी लिख रही है। इससे गुमराह होने की संभावना है। यह उन लोगों के लिए हानिकारक नहीं है जो इसे लेने के लिए स्वस्थ हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए हानिकारक है जो इसे लेने के लिए स्वस्थ नहीं है।
साथ ही अदालत ने 14 एवं 15 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली कंपनी की मुख्य याचिका पर केंद्र और एफएसएसएआई को नोटिस जारी किया। उक्त आदेशों के तहत प्राधिकरण ने खाद्य और पेय पदार्थ कंपनियों को अपने लेबलिंग में ओआरएस शब्द का उपयोग करने की अनुमति वापस ले ली थी, जब तक कि वे मानक चिकित्सा फार्मूलेशन को पूरा न करें। अदालत ने मामले की सुनवाई नौ दिसंबर के लिए तय की।
याचिकाकर्ता कंपनी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी और मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि कंपनी पिछले 20 वर्षों से इन उत्पादों को बेच रही है और कंपनी का नाम पेटेंट, जीआई और ट्रेडमार्क नियंत्रक (सीजीपीडीटीएम) के पास पंजीकृत है। यह भी कहा कि उत्पाद का निर्माण बंद कर दिया गया है, लेकिन चिंता खुदरा चैनल में मौजूद उत्पादों को लेकर है। उन्होंने अदालत से मौजूदा स्टाक को खपाने की अनुमति देने का आग्रह किया।
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