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तीन माह में फिसलकर आखिरी पायदान पर पहुंचा गोरखपुर, कार्यशैली पर उठा सवाल

cy520520 2025-11-12 13:36:51 views 181

  

गोरखपुर जिलाधिकारी। जागरण फाइल फोटो



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सीएम डैशबोर्ड की अक्टूबर माह की रैंकिंग में गोरखपुर की रैंक लगातार तीसरी बार खिसकर पीछे चली गई है। अगस्त माह की रैंकिंग में जिला 62वें पायदान पर था, जहां से आठ स्थान फिसलकर सितंबर में 70वें स्थान और अब अक्टूबर में सबसे आखिरी पायदान यानी 75वें नंबर पर पहुंच गया है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वहीं, सितंबर में शानदार प्रदर्शन कर टाप टेन में जगह बनाने वाले कुशीनगर और महराजगंज जिले की भी रैंक नीचे गिरी है। सितंबर में कुशीनगर सातवें पर था, जहां से खिसक कर अक्टूबर में 26वें और महराजगंज आठवें स्थान से खिसकर 12वें स्थान पर पहुंच गया है। वहीं देवरियां, सितंबर माह में 52वें नंबर पर था, जहां से आठ पायदान खिसकर 60वें नंबर पर पहुंच गया है।  

हर महीने सीएम डैशबोर्ड की ओर से राजस्व और विकास कार्यों की प्रगति के आधार पर जिलों की रैंकिंग जारी की जाती है। रैंकिंग में जिलों की प्रशासनिक दक्षता, विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, और राजस्व निस्तारण की गति का मूल्यांकन आधार बनता है।

जिला प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, गोरखपुर में बड़े पैमाने पर राजस्व वाद लंबित हैं। नामांतरण, वरासत और पैमाइश के साथ ही आय, जाति और निवास प्रमाण पत्रों का समय से निस्तारण नहीं हो पाने की वजह से भी जिले की रैंकिंग प्रभावित हुई है। इन लंबित मामलों के कारण न केवल राजस्व कार्य प्रभावित होते हैं, बल्कि जनसुनवाई और जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी असर पड़ता है।

यद्यपि गोरखपुर के अधिकारियों का कहना है कि इस समय हजारों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं चल रही हैं। समयबद्ध कार्य पूरा करने और राजस्व विवादों के शीघ्र निस्तारण पर विशेष जोर दिया जा रहा है, ताकि रैंकिंग में सुधार हो सके। रैंकिंग में टाप टेन जिलों में श्रावस्ती पहले, ललितपुर दूसरे, बरेली तीसरे, औरैया चाथे, शाहजांपुर पांचवे, हमीरपुर छठें, सोनभद्र सातवें, बदांयू आठवें, मैनपुरी नौंवे और संभल दसवें पायदान पर है। राजधानी लखनऊ की भी रैंकिंग काफी खराब है। इसे 74वीं रैंक मिली है।

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110 कार्यक्रमों के आधार पर होती है समीक्षा
सीएम डैशबोर्ड पर 49 विभागों के 110 सरकारी कार्यक्रमों की महीनेवार समीक्षा की जाती है। इसमें जनसुनवाई, जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, राजस्व प्रबंधन, विकास कार्यों की प्रगति, और कानून-व्यवस्था जैसे बिंदु शामिल हैं।

प्रत्येक जिले को विभिन्न मापदंडों पर अंक दिए जाते हैं। अधिकतम अंक पाने वाले जिले उच्च रैंक प्राप्त करते हैं। यह रैंकिंग प्रशासनिक दक्षता, विकास योजनाओं के स्थायी परिणाम, योजनाओं के पारदर्शी क्रियान्वयन, और जनसुनवाई में बेहतर प्रदर्शन को प्रोत्साहित करती है।
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