मस्ती 4 में रशियन भोजपुरी डॉन बने हैं तुषार कपूर
प्रियंका सिंह, मुंबई। तुषार कपूर मस्ती 4, वेलकमटू द जंगल और जनादेश में नजर आने वाले हैं। इस दौर में फ्रेंचाइज की सफलता पर एक्टर ने बातचीत की और बताया कि यह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वे फिल्म को कितना पसंद कर रहे हैं और प्यार दे रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने फिल्म में कम स्क्रीनस्पेस पर अपने विचार साझा किए। उनसे की गई बातचीत के कुछ अंश... विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आप वैरायटी फिल्में कर रहे हैं। लोग इसे आपका 2.0 वर्जन कह रहे हैं...
मुझे खुशी है कि लोग मुझे यह टैग दे रहे हैं। आत्मविश्वास पहले से ज्यादा है। हार नहीं मानूंगा। अपने काम से संतुष्ट हूं, क्योंकि हर रोल एक-दूसरे से अलग है। अब जैसे \“क्या कूल हैं हम\“ जैसी एडल्ट कॉमेडी के बाद लोग \“मस्ती 4\“ में मेरे किरदार को लेकर सोच रहे होंगे कि वैसा ही कुछ होगा, तो वैसा बिल्कुल नहीं है। मैं फिल्म में रशियन भोजपुरी डॉन बना हूं, जो अजीब सा है। ऐसा केवल निर्देशक मिलाप झावेरी ही सोच सकते हैं। उन्होंने अच्छा रोल दिया है।मैं इस फ्रेंचाइजी में नया एडिशन हूं। उम्मीद है कि लोग कहेंगे कि मैंने अच्छा काम किया है। भले ही लीडरोलना हो, लेकिन किरदार बहुत खास है।
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\“गोलमाल 5\“ में अभी कितना समय है?
रोहित शेट्टी उस फिल्म पर भी काम कर रहे हैं। शूटिंग कब शुरू होगी, यह नहीं पता, लेकिन बनाएंगे, यह तय है।
क्या लगता है कि अब वह दौर जा रहा है, जब स्क्रीनस्पेस बहुत मायने रखता था?
यह विचार हर कलाकार के मन में आता है कि कहीं स्क्रीनस्पेस कम तो नहीं मिल रहा। फिर वह ज्यादा मेहनत करता है, ताकि लोगों का ध्यान उस पर जाए। हां, कुछ नया करना हमेशा जोखिम के साथ आता है। अगर 15 मिनट का रोल है और उसमें आप खुद को नोटिस करवा पा रहे हैं, तो आप अलग दिखेंगे। आप छोटे से रोल में भी चमक सकते हैं। \“खाकी\“ फिल्म इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। दिग्गज कलाकारों के बीच लोगों ने मुझे नोटिस किया था। निर्देशक को श्रेय जाता है। \“मस्ती 4\“ में किरदार छोटा है, लेकिन उसमें याद रखने वाली बात है।
लेकिन 30 से ज्यादा कलाकार वाली फिल्म \“वेलकमटू द जंगल\“ में तो स्क्रीनस्पेस का विचार आता होगा?
मैंने वह फिल्म दो कारणों से की है। पहला कारण निर्देशक अहमद खान हैं, जो मेरी पहली फिल्म से मेरे गुरु कोरियोग्राफर हैं। दूसरा कारण यह \“वेलकम\“ की फ्रेंचाइज है। मुझे पता है कि फिल्म में कई कलाकार हैं, लेकिन यह जॉनर नया है। हालीवुड में पुलिस एकेडमी फिल्म में यह जॉनर दिखा था, जिसमें कई लोग साथ आकर कॉमेडी करते हैं। ग्रुप बड़ा है, लेकिन ऐसा नहीं लगेगा कि कोई बीच में से गायब हो गया। जैसे \“सत्तेपे सत्ता\“ में सब साथ में थे। हर किरदार की अपनी भी एक कहानी है, ताकि कारण पता चले कि वह कैरेक्टर यहां तक क्यों पहुंचा है।
एक कलाकार के लिए फ्रेंचाइज फिल्म कितनी फायदेमंद होती है?
यह फ्रेंचाइज पर निर्भर करता है। समय के साथ उसे आउटडेटेड नहीं होना चाहिए। \“गोलमाल\“ से इसलिए फायदा हुआ है, क्योंकि वह बच्चों को बहुत पसंद आई। जिन बच्चों ने दूसरी या तीसरी \“गोलमाल\“ देखी, उन्होंने पहली वाली भी ढूंढकर देखी। इसके नए दर्शक बनते रहे। अगर फ्रेंचाइज की फिल्मों में नयापन न हो, तो युवा पीढ़ी उससे नहीं जुड़ती है। एक अच्छी टीम का साथ आना, फिल्मों का सही समय पर प्रदर्शित होना सब कुछ मायने रखता है।
क्या अब दर्शक भी ज्यादा स्मार्ट हो गए है?
एक्टरों में भी तो बदलाव आया है। महामारी के बाद हमें एहसास हुआ है कि अच्छी फिल्में करना ज्यादा अहम है, बजाय इसके कि आप खुद के लिए अच्छा रोल ही ढूंढते रह जाएं। रोल अच्छा होगा, तो आप चमकेंगे। अब दर्शक पहले की तरह सख्त नहीं हैं। वह भी चाहते हैं कि अच्छी फिल्में आएं। वह जिद पकड़कर नहीं बैठे हैं कि फलां कलाकार मुख्य हीरो ही होगा। वह केवल मनोरंजन चाहते हैं।
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