हंटिंगटन रोग के बढ़ने की गति को कम कर सकती है जीन थेरेपी (Image Source: Freepik)
प्रेट्र, नई दिल्ली। एक शोध में सामने आया है कि हंटिंगटन रोग के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है। इसमें जीन थेरेपी बेहद ही कारगर उपाय है। यह इसकी गति को 75 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम है। हंटिंगटन रोग एक आनुवंशिक विकार है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इस शोध को लेकर दो चरणों में ट्रायल किए गए। ट्रायल के पहले चरण में 20 से लेकर 100 लोगों पर नई चिकित्सा की सुरक्षा पर आकलन किया जाता है, जबकि दूसरे चरण में करीब 300 प्रतिभागियों पर परीक्षण किया गया। हंटिंगटन रोग एक आनुवंशिक विकार है और समय के साथ मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के क्षय का कारण बनता है। इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्या है हंटिंगटन डिजीज?
हंटिंगटन एक आनुवंशिक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है। इसका मतलब है कि यह माता-पिता से बच्चों में जाती है और समय के साथ दिमाग की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है। यह बीमारी व्यक्ति की चाल, सोच और व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करती है। मरीज को अनियंत्रित झटके लगते हैं, याददाश्त कमजोर होने लगती है और मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है। इस बीमारी का कारण एक दोषपूर्ण जीन है, जो एक जहरीले प्रोटीन को बनाता है और यही प्रोटीन दिमाग को नुकसान पहुंचाता है।
जीन थेरेपी ने दिए चौंकाने वाले नतीजे
हंटिंगटन डिजीज के लक्षण आमतौर पर 30 और 40 की उम्र के आसपास नजर आने लगते हैं। शोध के दौरान 29 मरीजों का एमटी - 130 जीन थेरेपी से उपचार किया गया। इनमें 17 को उच्च और 12 को निम्न डोज दी गई और 36 महीनों तक उनके स्वास्थ्य को लेकर फालोअप किया गया। इसे काम्पोजिट यूनिफाइड हंटिंगटन डिजीज रेटिंग स्केल द्वारा मापा गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि रेटिंग स्केल पर मापी गई रोग की प्रगति में 75 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी पाई गई।Nat Sciver-Brunt, England womens cricket, India womens cricket, ICC Womens World Cup, India women vs England women, Emma Lamb, Jemimah Rodrigues, Arundhati Reddy injury, England vs India warm-up, Womens cricket highlights, World Cup preparation
टीम ने रोग की प्रगति को कुल कार्यात्मक क्षमता द्वारा भी मापा गया, जो किसी व्यक्ति की दैनिक कार्यक्षमता को मापता है। साथ ही 36 महीने के लिए फालोअप किया गया। इसमें पाया गया कि यह 60 प्रतिशत धीमी हो गई है। लंदन विश्वविद्यालय के हंटिंगटन रोग केंद्र की निदेशक सारा ताब्रिजी ने कहा कि परिणाम अब तक सबसे विश्वसनीय हैं।
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