Mehul Choksi: भारत ने मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 की तस्वीरें बेल्जियम के अधिकारियों को सौंप दी हैं। अधिकारियो ने बताया कि भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को प्रत्यर्पित किए जाने के बाद इसी सेल में रखा जाएगा। भारत ने बेल्जियम के अधिकारियों को बताया है कि अगर चोकसी को वहां से प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 में रखा जाएगा। इसी के साथ मेहुल चौकसी का यह दावा खारिज हो गया है जिसमें उसने कहा था कि भारत की जेलों में मानवाधिकारों का हनन होता है।  
 
  
 
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार सितंबर को एक पत्र के माध्यम से बेल्जियम के अधिकारियों को बताया कि जेल के बैरक संख्या 12 में प्रत्येक कैदी के लिए रहने का स्थान सजा के दौरान यातना की रोकथाम से संबंधित यूरोप की एक समिति की आवश्यकताओं के अनुरूप है।   
 
  
 
गृह मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि जिस कोठरी में चोकसी को कैद रखा जाएगा। वह लगभग 20 फुट लंबी और 15 फुट चौड़ी है। इसमें अलग शौचालय एवं वाशरूम है। पत्र में बताया गया है कि छत की ऊंचाई लगभग 15 फुट है। इसमें तीन खिड़कियां, पांच ऊपरी वेंटिलेटर और एक ग्रिल वाला मुख्य दरवाजा है।  
 
  
 
  
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इंडिया टुडे के मुताबिक, सामने आई तस्वीरों में 46 वर्ग मीटर का बैरक दिखाई दे रहा है। इसमें प्राइवटे शौचालयों और अन्य सुविधाओं वाली दो कोठरी हैं। ये तस्वीरें चोकसी के इस दावे का खंडन करने के लिए पर्याप्त है कि भारतीय जेलें भीड़भाड़ वाली और काफी असुरक्षित हैं।  
 
  
 
    
 
  
 
चोकसी धोखाधड़ी करके एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया था। घोटाले का खुलासा होने से महीनों पहले उसने वहां की नागरिकता ले ली थी। मेहुल चोकसी के बेल्जियम में पकड़े जाने के बाद CBI, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी ताकि उसे भारत लाकर उस पर मुकदमा चलाया जा सके।  
 
  
 
अधिकारियों ने बताया कि चोकसी और उसका नजदीकी रिश्तेदार नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में वांछित हैं। उन्होंने इस धोखाधड़ी को पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच के कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी गारंटी पत्र के जरिए अंजाम दिया था। भगोड़ा मोदी भी 2019 से लंदन की जेल में बंद है।  
 
  
 
    
 
  
 
मेहुल चोकसी के भारत आने का रास्त साफ  
 
  
 
बेल्जियम की एक अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसा कोई जोखिम नहीं है कि भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के मामले में उसके प्रत्यर्पण के बाद भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी। अदालत ने कहा कि वह यातना, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार का सामना करने के किसी भी गंभीर जोखिम के दावे को साबित करने में विफल रहा है।  
 
  
 
जिला अदालत ने 23 मई, 2018 और 15 जून, 2021 को मुंबई की विशेष अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को लागू होने योग्य बताया था। इसे अपील अदालत ने 17 अक्टूबर के अपने आदेश में बरकरार रखा है। सबूतों के अभाव से संबंधित तीसरे वारंट को बेल्जियम की अदालत ने स्वीकार नहीं किया था।  
 
  
 
    
 
  
 
अपील अदालत ने माना है कि चोकसी द्वारा पेश किए गए दस्तावेज उसके इस दावे की पुष्टि नहीं करते हैं कि वह एक राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार हो सकता है। इसने कहा कि यह संबंधित पक्ष पर निर्भर है कि वह इस बात पर विश्वास करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रदान करे कि प्रत्यर्पण के बाद दुर्व्यवहार का वास्तविक जोखिम है।  
 
  
 
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चोकसी द्वारा दी गई इन दलीलों को खारिज करते हुए कि भारत में प्रत्यर्पित किए जाने पर मामले में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है। अपील अदालत ने माना कि उसके द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेज इसे ठोस रूप से साबित करने के लिए अपर्याप्त हैं। |