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बिहार के इस मंदिर में की थी पांडवों ने पूजा, जानें महाभारत काल से जुड़ी रोचक कहानी

Chikheang 2025-9-25 22:06:41 views 1010

  यहां अज्ञातवास में पांडवों ने की थी पूजा





संवाद सूत्र, सोनवर्षा राज (सहरसा)। क्षेत्र अंतर्गत राजा विराट की धरती विराटपुर गांव में अवस्थित मां चंडिका स्थान इलाके का ऐतिहासिक धरोहर है। दशहरा के दसों दिन पूजा अर्चना करने के लिए विभिन्न जिलों से लोग पूजा अर्चना करने श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसका निर्माण महाभारत कालीन राजा विराट द्वारा करवाये जाने की मान्यता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह स्थान भारत के प्रसिद्ध 51 सिद्ध पीठों मे से एक है। विराटपुर स्थित मां छिन्नमस्तिका की प्रतिमा पाल युगीन मानी जाती है। मान्यता है महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी यहां मां की पूजा-अर्चना की थी।



पुरातत्व विभाग को खुदाई में हजारों वर्ष पुराना अवशेष मिल चुका है। जो मंदिर के हजारों वर्ष पुराना होने को प्रमाणित करता है।
कैसा है इतिहास

मान्यता है कि महाभारत काल के दौरान अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आए थे। उस दौरान पांडवों ने मां चंडी की पूजा-अर्चना की थी। काफी दिनों तक पूजा-अर्चना के बाद मां ने प्रसन्न होकर पांडवों को विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और पांडवों ने महाभारत युद्ध में विजय श्री भी हासिल की थी।



इतिहास के अवलोकन से यह निश्चित हो जाता है कि उत्खनन से प्राप्त काले व चमकदार पत्थर की ये मूर्तियां पाल युगीन है। अधिकांश पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। यही वजह है कि मंदिर में बची इन मूर्तियों पर तिब्बत तथा चीनी कलाओं का स्पष्ट प्रभाव नजर आता है।

मंदिर के द्वार के सम्मुख मां छिन्नमस्तिका का चबूतरा नामक सिंहासन काले पत्थरों का बना हुआ है। जिसके ऊपर दिशा यंत्र अंकित है। मां छिन्नमस्तिका के पूजा के उपरांत काले पत्थर से बने इसी सिंहासन की पूजा की जाती है।muzaffarpur-general,Muzaffarpur News,Muzaffarpur Latest News,Muzaffarpur News in Hindi,Muzaffarpur Samachar,navratri 2025 day 5, Maa Skandamata, Muzaffarpur News, Shardiya Navratri, Shardiya Navratri 2025, navratri date 2025, sharad navratri 2025, navratri puja muhurat, navratri puja time, navratri history, navratri significance, navratri vrat, navratri india,Bihar news


मंदिर की विशेषता

मंदिर स्थित मां चंडी की प्रतिमा के बगल में एक छोटा कुंड है जिसमें कितना भी जल चढाया जाए उसका जलस्तर एक समान बना रहता है।

ऐसा माना जाता है कि मां छिन्नमस्तिका को चढाया गया जल गुप्त मार्ग से महिषि की मां तारा तथा धमाहरा की मां कत्यानी तक पहुंच जाता है। इस तरह यहां पूजा करने से तीनों स्थानों के भगवती के पूजन का फल भक्त जो को प्राप्त हो जाता है।


ऐसे पहुंचे मंदिर

सहरसा जिले से 37 किलोमीटर तथा मुख्यालय से 05 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित मां चंडिका मंदिर है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बस तथा ऑटो से जाया जा सकता है।

पुजारी उग्रामोहन झा उर्फ घुंघूर झा बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मां छिन्नमस्तिका की पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं उनकी हरेक मनोकामना पूर्ण होती है।

न्यास के सचिव मनोरंजन कुमार सिंह बताते है यहां की सारी व्यवस्था न्यास के जिम्मे है।पूजा में होने वाला सारा खर्च न्यास द्वारा ही किया जाता है।
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