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Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: किस दिन किया जाएगा देवउठनी एकादशी व्रत? यहां पढ़ें तिथि और नियम

cy520520 2025-10-11 20:37:55 views 1254

  

Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी व्रत के नियम



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु और मां तुलसी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। इस माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2025) व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि देवउठनी एकादशी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
देवउठनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)


वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की तिथि 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में देवउठनी एकादशी 01 नवंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन चातुर्मास खत्म होगा।

  
देवउठनी एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम (Dev Uthani Ekadashi 2025 Vrat Paran Time)


एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी का पारण 02 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन व्रत का पारण करने का समय 01 बजकर 11 मिनट से लेकर शाम 03 बजकर 23 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय व्रत का पारण कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत नियम (Dev Uthani Ekadashi Vrat Niyam)

  

  • एकादशी व्रत में सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • तामसिक और चावल को नहीं खाना चाहिए।
  • काले रंग के कपड़ें न पहनें।
  • घर और मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है।
  • व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर करना चाहिए।
  • व्रत का पारण के बाद मंदिर या गरीब लोगों में अन्न-धन समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन चीजों का दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है।


विष्णु मंत्र



1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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