बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र में सड़क पर उड़ती धूल से हो रहा प्रदुषण। जागरण
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। शहर की खराब हवा और बिगड़ती जीवन शैली बुजुर्गों के साथ ही अब युवाओं और बच्चों के फेफड़ों को भी कमजोर कर रही है। चिकित्सकों का कहना है कि केंद्र सरकार के टीबी मुक्त अभियान से टीबी संक्रमण की दर कम हुई है,लेकिन फेफड़ों का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फेफड़ों का कैंसर बढ़ने से मौतें भी हो रही हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण में सुधार की जरूरत है। स्मोकिंग की आदत के साथ स्माग को खत्म करना होगा। फेफड़ा दिवस प्रतिवर्ष 25 सितंबर को मनाया जाता है। क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक फेफड़ों की बीमारी है जो सांस लेना मुश्किल बना देती है।
यह दुनिया भर में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है। इसमें सांस लेने में बहुत तकलीफ़, गाढ़ा बलगम, घरघराहट और खांसी। गंभीर स्थिति में आपको अस्पताल जाना पड़ सकता है।
फेफड़ों में संक्रमण के मरीजों को कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार कार्बन डाइआक्साइड उत्पादन को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे सीओपीडी को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है। पोटेशियम फेफड़ों के कार्य के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए उच्च स्तर के पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ खाने का प्रयास करें, जैसे शतावरी, चुकंदर और आलू।
फेफड़े का कैंसर
फेफड़े का कैंसर दूसरा सबसे प्रचलित कैंसर है। विश्व में हर साल 22 लाख नए फेफड़े कैंसर के मामले आते हैं और करीब 18 लाख मौतें इससे होती हैं। स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर की तुलना में, फेफड़ों का कैंसर महिलाओं के मामले में तीसरे स्थान पर और मृत्यु दर के मामले में दूसरे स्थान पर है। फेफड़े का कैंसर 36 देशों में पुरुषों में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है।
फेफड़ों की सामान्य बीमारियां
अस्थमा और एलर्जी, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी),फेफड़ों में संक्रमण (निमोनिया, तपेदिक), फेफड़े का कैंसर, अंतरालीय फेफड़े की बीमारी (आईएलडी)
ऐसे फेफड़ों के स्वास्थ्य को सुधारें और स्वस्थ रखें
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संकेत जिनसे फेफड़ों के स्वास्थ्य की जांच करवानी पड़ सकती है
लगातार खांसी, घरघराहट या सांस फूलना,सीने में दर्द या बार-बार फेफड़ों में संक्रमण
वायु प्रदूषण के बढ़ने,खराब जीवन शैली और धूमपान करने से सीओपीडी, अस्थमा,निमोनिया के साथ लंग्स कैंसर बढ़ रहा है। आउट डोर ही नहीं घर के इंडोर प्रदूषण से बच्चे और महिलाएं सीओपीडी की चपेट में आ रहे हैं। ओपीडी में रोज सीओपीडी के 30 तो लंग्स कैंसर के दो मरीज ट्रेस हो रहे हैं। गाजियाबाद में 15 प्रतिशत फेफड़ों के संक्रमण के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है।
- डॉ. आशीष कुमार अग्रवाल,पल्मोनोलाजिस्ट |