बड़े-बड़े नामों वाली जसुपा की सूची जारी होते ही छलक पड़े छोटे-छोटे आंसू
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। बनियापुर की पुष्पा कुमारी फफकते-बिलखते भड़क गई हैं। तीन वर्ष प्रशांत किशोर के साथ गांव-गली घूम संगठन गढ़ती रहीं और टिकट की बारी आई तो कोई दूसरा बाजी मार ले गया। गुरुवार को ऐसे कई दृश्य पटना में जन सुराज पार्टी (जसुपा) के कैंप कार्यालय में देखने को मिले। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के साथ क्षोभ सार्वजनिक हो चुका है। इस सूची में अपने क्षेत्र की कई ख्यातिलब्ध हस्तियों के साथ 51 प्रत्याशियों के नाम हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की पुत्री लता सिंह भी इसमें सम्मिलित हैं और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पौत्री जागृति ठाकुर भी।
करगहर से नहीं लड़ेंगे प्रशांत किशोर
पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता वाईवी गिरी और गणित के प्रोफेसर रहे केपी सिन्हा भी स्कूल का बस्ता (जसुपा का चुनाव-चिह्न) लेकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। डीजी (होमगार्ड) के पद से सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी आरके मिश्रा दरभंगा में दांव आजमाएंगे, जबकि भोजपुरी गायक रितेश रंजन पांडेय करगहर में।
इस घोषणा के साथ ही प्रशांत किशोर के अपनी जन्मभूमि करगहर से चुनाव लड़ने के कयास पर विराम लग गया है। दूसरा कयास राघोपुर को लेकर बच गया है, जहां से जसुपा चुनाव प्रचार की शुरुआत करेगी। राघोपुर से राजद नेता तेजस्वी यादव दो बार विधायक चुने जा चुके हैं और तीसरी पारी के लिए तैयारी कर रहे।
आरसीपी सिंह ने नामों की घोषणा की
प्रत्याशियों की सूची प्रशांत किशोर द्वारा जारी की जानी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से प्रेस-वार्ता मेंं वे नहीं पहुंच पाए। इस कारण आरसीपी सिंह ने नामों की घोषणा की। उनमें 07 सुरक्षित और 44 सामान्य सीटों के प्रत्याशी हैं।
जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देते हुए अति-पिछड़ा वर्ग के 17, पिछड़ा वर्ग के 11, सामान्य वर्ग के 09 और मुस्लिम समाज से 07 प्रत्याशी बनाए गए हैं। इनमें सात महिलाएं और एक मंगलामुखी भी हैं। विधानसभा चुनाव में बिहार में किसी दल द्वारा मंगलामुखी (प्रीति किन्नर) को मैदान में उतारने का संभवत: यह पहला मामला है। अति-पिछड़ा वर्ग के 17 प्रत्याशियों में एक मुुसलमान है और बाकी हिंदू।
विरोध सार्वजनिक हुआ
वाल्मीकिनगर से प्रत्याशी बनाए गए दृग नारायण सिंह अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आने वाले थारू समाज से हैं। इस आधार पर जसुपा अपना वादा पूरा करने का दावा कर रही। उसका वादा है कि योग्य व्यक्ति होने पर सामान्य सीट पर भी अनुसूचित जाति-जनजाति का प्रत्याशी दिया जाएगा।
वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र आरक्षित श्रेणी में नहीं। गुरुवार सुबह प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती द्वारा एक्स पर किए गए पोस्ट से इसकी अनुभूति हो गई थी कि प्रत्याशियों का नाम घोषित होने पर क्षोभ सार्वजनिक होगा।
इस संदर्भ में वाईवी गिरि परिसर मेंं बताते रहे कि जसुपा एक परिवार है और कोई गलत नहीं कि परिवार में सभी योग्य और दावेदार हों, लेकिन एक विधानसभा क्षेत्र से कोई एक ही प्रत्याशी हो सकता है। पूर्व विधान पार्षद किशोर सहरसा से प्रत्याशी बनाए गए हैं।
इस सूची में पहले से चुनावी राजनीति के अनुभव वाले नाम गिनती के हैं, जिनमें किशोर भी एक हैं। इमामगंज में डॉ. अजीत कुमार को मैदान में उतारा गया है, जहां उप चुनाव में जसुपा तीसरे स्थान पर रही थी। पिछले वर्ष नवंबर में विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में उसे सर्वाधिक मत (37103) इसी क्षेत्र में मिले थे। तब जितेंंद्र कुमार पासवान उसके प्रत्याशी थे, जो अब फिरंट बताए जा रहे।
डॉ. अजीत तीन-चार माह पहले चिकित्सक की सरकारी नौकरी छोड़ जसुपा के साथ लगे थे। लाटरी तो बोधगया विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए गए लक्ष्मण मांझी की लगी, जो तीन-चार रोज पहले ही हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा छोड़कर जसुपा में आए थे।
उन्हें टिकट मिलने से स्पष्ट है कि नेतृत्व का यह दावा भी राजनीतिक ही है कि प्रत्याशियों का चयन जनता की सहमति के साथ सांगठनिक स्तर पर कई चरणों की स्क्रूटनी के बाद हो रहा है। |