सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए गठबंधन में तनातनी। (फाइल फोटो)
सुनील राज, पटना। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के संस्थापक और एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा बिहार विधानसभा चुनाव में कम से कम 24 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं।
कुशवाहा जिन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं कि उनमें उजियारपुर, महुआ, दिनारा, मधुबनी, सासाराम, ओबरा और कुर्था के अलावा शेखपुरा, गोह, सुल्तानगंज और बाजपट्टी समेत कई महत्वपूर्ण सीटें हैं।
हाल ही में भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा और बिहार विनोद तावड़े से उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात हुई थी। इस बैठक में सीट बंटवारे को लेकर गहन चर्चा हुई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कुशवाहा ने भाजपा को स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी पार्टी बिहार के कई इलाकों में मजबूत स्थिति में है और उसे उसके अनुरूप हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।
रालोमो सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रालोमो ने बैठक के दौरान एनडीए से 24 सीटों की मांग उठाई। कुशवाहा की 24 सीटों की मांग भाजपा के लिए एक नई चुनौती बनकर आई है।
एनडीए में तनातनी का माहौल
सूत्रों की माने तो जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बाद उपेंद्र कुशवाहा की मांग ने एनडीए में तनातनी का माहौल बना दिया है। हालांकि, इस विषय पर कोई कुछ खुल कर बोलने से बच रहा है परंतु उपेंद्र कुशवाहा की मांग को लेकर भाजपा में चर्चा जरूर शुरू हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुशवाहा की मांग भले ही बड़ी लगे, लेकिन उनका उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाकर कम से कम 10 से 12 प्रभावशाली सीटों पर टिकट सुनिश्चित कराना है।
यहां बता दें कि बीते तीन चुनावों, दो विधानसभा चुनाव और एक लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। उपेंद्र कुशवाहा 2015 में एनडीए के साथ थे। उन दिनों जदयू महागठबंधन का हिस्सा थी।
लिहाजा उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका तो दिया परंतु कुशवाहा की पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा और उनके मात्र दो प्रत्याशी ही जीते थे।
2020 में नहीं खुला था खाता
2020 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग थे और उन्होंने 99 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। लेकिन उस चुनाव में कुशवाहा की पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी।
जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा एकमात्र काराकाट सीट पर किस्मत आजमाई। लेकिन यहां भी उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
एनडीए में सीटों के बंटवारे के पूर्व कुशवाहा के प्रदर्शन और स्ट्राइक रेट पर भी गौर किया जा रहा है। परंतु कुशवाहा तमाम आकलन और कयायों को दरकिनार कर विधानसभा चुनाव में अपने राजनीतिक आधार मजबूत करने में जुटे हैं। |