Yamuna Expressway पर हादसे की वो एक रात...अस्पताल में कहानियां 100, जिंदगी भर के लिए आंखों में बैठा डर

Chikheang 2025-12-18 00:38:19 views 886
  

Yamuna Expressway पर हुए हादसे में जलती बसें। फाइल फोटो



जागरण संवाददाता, मथुरा। Yamuna Expressway पर कोहरे में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद अस्पताल में भर्ती 100 से ज्यादा घायल, उस रात को मनहूस बता रहे हैं। हर जुबान पर एक कहानी है। कोई नौकरी के लिए घर से निकला तो कोई किसी काम से। कुछ ने अपनों को खो दिया। अब सभी कोहरे में रात के सफर से तौबा कर चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

भीषण सड़क हादसे के बाद जिला अस्पताल सिर्फ इलाज का केंद्र नहीं रहा, बल्कि दर्द, डर और टूटती उम्मीदों का गवाह बन गया। इमरजेंसी में जगह कम पड़ी तो वार्ड ही आपरेशन थियेटर बन गए। डाक्टर, फार्मासिस्ट और स्टाफ जान बचाने में जुटे रहे और हर बेड पर एक अलग कहानी कराह रही थी।

कोई परीक्षा देने निकला था, कोई रोजी की तलाश में, कोई परिवार के साथ सफर कर रहा था, लेकिन एक झटके ने सभी की जिंदगी रोक दी।

  
परीक्षा देने निकली थी, होश अस्पताल की बेड पर आया

कानपुर की 21 वर्षीय सुमन दिल्ली होम्योपैथी एलटी की परीक्षा देने जा रही थीं। पूरी तैयारी के साथ अकेले सफर पर निकली थीं। हादसे के बाद जब आंख खुली तो खुद को अस्पताल में पाया। धीमी आवाज में बोलीं कि महीनों की मेहनत एक पल में टूट गई।

आगे क्या होगा, यह सोचकर डर लग रहा है। उन्होंने फोटो खींचने से मना कर दिया, लेकिन आंखों में टूटा सपना साफ दिख रहा था।


बच्चे न रोए, न बोले… खामोशी ने रुला दिया

कानपुर के विनय कटिहार अपनी दिव्यांग पत्नी और दो मासूम बच्चों के साथ दिल्ली जा रहे थे। हादसे में विनय गंभीर रूप से घायल हो गए। पत्नी और बच्चे सुरक्षित रहे, लेकिन बच्चे पूरी तरह सहम गए। मंगलवार को दोनों बच्चे न कुछ बोले, न कुछ खाया।

पिता घायल हालत में बेटी का हाथ थामे बैठे रहे, ताकि वह डर न जाए। बच्चों की खामोशी सबसे ज्यादा डरावनी थी। शाम को हालात सामान्य देख बच्चों को तसल्ली मिली, तब खाना खाया। हालांकि वह दिनभर चुपचाप खौफ के साये में मां-बाप के आंचल से लिपटे रहे।

  
रोजी की तलाश में निकली, किस्मत अस्पताल ले आई

हमीरपुर के उमरी गांव की 50 वर्षीय सुखदेवी दिल्ली मजदूरी करने जा रही थीं। बस में सो रही थीं, तभी हादसा हो गया। घायल हालत में अस्पताल पहुंचीं। बोलीं कि पेट पालने निकले थे, जान बच गई वही बहुत है। चेहरे पर दर्द के साथ राहत भी थी कि जिंदा हैं।

  

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