नई दिल्ली। भारत में मैक्रो इकोनॉमिक की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है, GDP ग्रोथ अच्छी है, GST और इनकम टैक्स में कटौती से कंज्यूमर डिमांड में सुधार हो रहा है, और महंगाई कंट्रोल में है। वहीं, फिस्कल डेफिसिट जैसे फैक्टर भी नियंत्रण में हैं, और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकारी खर्च वापस ट्रैक पर आ रहा है। US ट्रेड टैरिफ और सेंट्रल बैंक के इंटरेस्ट रेट के फैसलों पर विचार हो रहा है। हालांकि, कुछ जगहों पर इक्विटी वैल्यूएशन अभी भी हाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस स्थिति को समझते हुए फ्लेक्सीकैप इन्वेस्टिंग अप्रोच (जिसमें लार्ज, मिड और स्मॉल कैप तीनों शामिल है) अपनाने से लंबे समय तक अच्छी परफॉर्मेंस मिल सकती है, बशर्ते इस प्रोसेस में पोर्टफोलियो बेहतर तरीके से डायवर्सिफाइड हो।
बेहतर रिटर्न की उम्मीद
फ्लेक्सीकैप इन्वेस्टिंग के लिए एक स्मार्ट अप्रोच आपको बेहतर रिटर्न दे सकता है। इसके लिए एक सिस्टमैटिक प्रोसेस को फॉलो करना जरूरी है। टॉप-डाउन अप्रोच आम तौर पर इकोनॉमिक इंडिकेटर्स, पॉलिसी ट्रेंड्स, GDP ग्रोथ, इन्फ्लेशन, ग्लोबल मैक्रो, अर्निंग्स पोटेंशियल और करंट अकाउंट बैलेंस, फिस्कल डेफिसिट, क्रेडिट ग्रोथ, रेट्स और प्रॉफिटेबिलिटी जैसे खास मेट्रिक्स को ट्रैक करके लार्ज कैप को समझने और इसमें निवेश करने में मदद करते हैं।
वहीं, मिड- और स्मॉल-कैप सिलेक्शन बॉटम-अप व्यू पर निर्भर करता है, जो मुख्य रूप से ग्रोथ प्रॉस्पेक्ट्स, अपॉर्चुनिटी साइज, मैनेजमेंट क्वालिटी, फाइनेंशियल रेश्यो और वैल्यूएशन पर ध्यान देते हैं। इन दोनों अप्रोच में स्टॉक चॉइस होती है, जिसमें फंडामेंटल्स और मैक्रो के आधार पर वेटेज होता है। मार्केट-कैप एलोकेशन परिस्थितियों के हिसाब से होना चाहिए, कोई एसेट क्लास आपके पोर्टफोलियो का बहुत बड़ा हिस्सा न हो, और नियमित रूप से समीक्षा की जानी चाहिए।
जब मार्केट में नकारात्मक माहौल होता है, तो लार्ज कैप गिरावट को कम कर सकते हैं क्योंकि उनमें बेहतर रिस्क मैनेजमेंट क्षमता होती है और वे पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करते हैं। वहीं दूसरी तरफ जब मार्केट में सकारात्मक माहौल होता है, तो फंडामेंटल रूप से मजबूत स्मॉल और मिडकैप काम आते हैं। इनके वैल्यूएशन में री-रेटिंग की संभावना होती है और स्ट्रांग ग्रोथ दिखता है, वे मीडियम से लॉन्ग टर्म में मल्टी-बैगर रिटर्न दे सकते हैं।
कुल मिलाकर फ्लेक्सीकैप इन्वेस्टिंग जब म्यूचुअल फंड के जरिए की जाए, तो फायदेमंद है। ग्रोथ और वैल्यूएशन पर आधारित यह मार्केट कैप्स का मिश्रण, रिस्क कम करता है। साथ ही, एक फ्लेक्सीकैप स्कीम अलग-अलग मार्केट साइकिल को स्मार्ट तरीके से नेविगेट करने के लिए अच्छी तरह से तैयार होती है।
बात जब फ्लेक्सीकैप की हो तो इन्वेस्टर ICICI प्रूडेंशियल फ्लेक्सीकैप फंड के बारे में विचार कर सकते हैं। मार्केट कैपिटलाइजेशन में इस फंड के डायनामिक नेचर को देखते हुए, इसमें मार्केट साइकिल में अच्छा इन्वेस्टमेंट एक्सपीरियंस देने की क्षमता है। रिटर्न के मामले में, फंड ने तीन साल में 19.01% CAGR और जुलाई 2021 (शुरुआत) से 31 अक्टूबर, 2025 तक 17.32% CAGR दिया है।
लेखक - आलोक शर्मा, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर
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