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Annapurna Jayanti 2025 Katha: पार्वती जी को क्यों लेना पड़ा देवी अन्नपूर्णा का रूप, अद्भुत है यह कथा

LHC0088 2025-12-3 22:38:13 views 323

  

Annapurna Jayanti 2025 Katha (AI Generated Image)



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवी अन्नपूर्णा की कृपा से भक्तों के अन्न भंडार सदा भरे रहते हैं। इस साल अन्नपूर्णा जयंती का पर्व 4 दिसंबर को मनाया जा रहा है। अन्नपूर्णा जयंती की पूजा के दौरान पूर्ण फल प्राप्ति के लिए अन्नपूर्णा माता की कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए। तो चलिए पढ़ते हैं देवी अन्नपूर्णा (Annapurna Mata Katha)  के अवतरण की कथा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि संसार में सबकुछ एक माया है। साथ ही उन्होंने कहा कि भोजन भी एक माया है और शरीर व अन्न का कोई विशेष महत्व नहीं है। भगवान शिव की यह बात माता पार्वती को अन्न का अपमान लगी और वह इससे काफी निराश हो गईं। उन्होंने यह निर्णय लिया कि वे संसार से अन्न को गायब कर देंगी।

इस कारण पूरी धरती पर अन्न कमी हो गई। लोग भूख से व्याकुल होकर हाहाकार मचाने लगे। तब माता पार्वती ने देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण किया, जिसमें वह अपने हाथों में अक्षय पात्र, अर्थात वह पात्र जिसमें भोजन कभी समाप्त नहीं होता, लिए प्रकट हुईं।

  
भगवान शिव ने लिया भिक्षु का रूप

तब भगवान शिव ने भी एक भिक्षु का रूप धारण किया और वह देवी अन्नपूर्णा से भोजन मांगने पहुंचे। भगवान शिव ने भी इस बात को स्वीकार किया कि शरीर और अन्न का भी अस्तित्व में विशेष महत्व है। अन्नपूर्णा देवी ने सभी को अन्न का दान दिया, जिसे भगवान शिव ने पृथ्वी वासियों में बांट दिया। इससे पृथ्वी की अकाल की समस्या दूर हुई।

  

(AI Generated Image)

तब से ही भोजन की देवी के रूप में मां अन्नपूर्णा होने लगी। माना जाता है कि जिस दिन माता पार्वती ने देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण किया, उस दिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि थी, इसलिए इस दिन को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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