WHO ने माना मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार मोटापे के दीर्घकालिक इलाज के लिए जीएलपी-1 थेरेपी को सिफारिशों में शामिल किया है। यह कदम वैश्विक स्तर पर चिकित्सकीय दृष्टिकोण में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विश्वभर में एक अरब से अधिक लोग मोटापे से प्रभावित हैं और डब्ल्यूएचओ का उद्देश्य सुरक्षित, उपचार विकल्पों का विस्तार करना है, साथ ही वह इस क्षेत्र में लागत और समान पहुंच की चुनौतियों को भी रेखांकित करता है।
दिशा निर्देशों में दो सिफारिशें शामिल
डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश में दो सिफारिशें शामिल हैं। पहली वयस्क मोटापा रोगी (गर्भवती महिलाओं को छोड़कर) दीर्घकालिक मोटापा प्रबंधन के लिए जीएलपी-1 दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। दूसरी इस थेरेपी को संतुलित आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
संगठन का कहना है कि मोटापा एक आजीवन स्थिति है जिसके लिए व्यापक देखभाल आवश्यक है, और केवल दवा से इस वैश्विक समस्या का समाधान संभव नहीं है।
मोटापा का किया जा सकता है इलाज
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डा. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ने कहा कि मोटापा एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रभावी और समान रूप से नियंत्रित करने के लिए दुनिया भर के देशों और लोगों को सहायता प्रदान करके, दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे नए दिशा निर्देश यह मानते हैं कि मोटापा एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसका व्यापक और आजीवन देखभाल से इलाज किया जा सकता है। |