cy520520 • 2025-12-3 03:37:26 • views 495
जागरण संवाददाता, वाराणसी। यहां न राजनीतिक दीवारें थीं न कोई भाषाई विरोध। काशी-तमिल संगमम् : 4.0 में शामिल होने के लिए आए तमिलनाडु के युवा छात्र-छात्राओं के हृदय में विशुद्ध भारतीयता का भाव हिलोरे ले रहा था।
आध्यात्मिकता का उत्स सभी को अभिभूत किए हुए था। प्रधानमंत्री के एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने वाले इस भव्य सांस्कृतिक उत्सव का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य पर्यटन विभाग दक्षिण भारत की तीर्थयात्राओं का आयोजन करेगा और जो लोग दक्षिण की तीर्थयात्रा पर जाएंगे, राज्य सरकार उन्हें रियायती दर पर सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। उन्होंने तमिल सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं को अपने वोकेशनल कोर्स में शामिल करने वाले छात्रों की पढ़ाई का पूरा भार सरकार द्वारा उठाने की घोषणा की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर जिस संकल्प की घोषणा की थी, उसे काशी-तमिल संगमम् भव्य रूप से साकार कर रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर परिसर में महर्षि अगस्त्य का मंदिर तैयार हो चुका है, जो तमिल परंपरा के सम्मान का प्रतीक है। मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हजारों वर्ष प्राचीन उत्तर-दक्षिण भारत के अति प्राचीन सांस्कृतिक-पौराणिक, आध्यात्मिक संबंधों को आज की विभाजनकारी राजनीति नहीं मिटा सकती।
काशी-तमिल संगमम का यह आयोजन उन संबंधों को नया स्वरूप दे रहा है। आयोजन की इस वर्ष की थीम “तमिल करकलाम: आओ तमिल सीखें” एकात्मता के भावों को सहज रूप देने का प्रयास है। आयोजन के प्रथम दिन तमिलनाडु से आए लगभग 300 युवा विद्यार्थियों के दल ने श्रीकाशी विश्वनाथ, मां विशालाक्षी, मां अन्नपूर्णा व काल भैरव मंदिरों में दर्शन-पूजन किया।
कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का हिंदी एवं तमिल दोनों भाषाओं में भेजा गया वीडियो संदेश प्रसारित किया गया। उन्होंने 15 दिनों की इस यात्रा को ज्ञान, अध्यात्म और कला के आदान-प्रदान का पवित्र उत्सव बताया, जिसमें प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की पुनीत धरती पर अपने अनमोल अनुभवों को साझा करेगा।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने तमिलनाडु के प्राचीन संगम साहित्य और पौराणिक काल में काशी-तमिल संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि यह संगमम् जीवंत आध्यात्मिक संबंधों का उत्सव है।
पुडुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलाशनाथन ने कहा कि बहुभाषिकता हमारी शक्ति है और हमें 1835 की मैकाले आधारित शिक्षा पद्धति को पीछे छोड़कर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाते हुए भारतीय भाषाओं को सीखने और अपनाने की आवश्यकता है। काशी-तमिल संगमम के मंच पर उद्घाटन समारोह में 13 भाषाओं में अनुवाद किए गए तमिल ग्रंथ तोलकापीएम का विमोचन किया।
तमिलनाडु के हिंदी जानने वाले 50 शिक्षक काशी के विद्यालयों में सिखाएंगे तमिल
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री डा. एल मुरुगन ने कहा कि हिंदी सीखना प्रत्येक तमिल बच्चे व छात्र का अधिकार है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या तमिलनाडु में राजनीति करने के लिए हिंदी सीखने वालों का विरोध करना आवश्यक है। और इसके रचयिता तिरुवल्लुवर का नाम दुनिया भर में लेकर जाएंगे और विभिन्न देशों में सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करेंगे।
आज दुनिया के कई देशों में तमिल कवि तिरुवल्लुवर को समर्पित सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करने का कार्य प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं। उनके लिखे प्राचीनतम तमिल ग्रंथ तिरुक्कुरल को 35 से अधिक भाषाओं में अनूदित किया गया है। इस वर्ष हम यहां के लोगों को रामेश्वरम भी ले जाने वाले हैं। इस आयोजन की थीम के अनुसार तमिलनाडु के हिंदी जानने वाले 50 शिक्षक काशी के विद्यालयों में बच्चों को तमिल भाषा सिखाएंगे। |
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