युवाओं को विदेश में नौकरी का झांसा
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। हाल ही में हरियाणा पुलिस भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से म्यांमार में विदेश में नौकरी के नाम पर ठगे गए तकरीबन चार दर्जन युवाओं को स्वदेश लाने में सफल रही।
सूचना है कि सिर्फ हरियाणा व पंजाब से पांच से दस हजार युवकों को नौकरी देने के नाम पर सिर्फ म्यांमार में बंधक बनाकर रखा गया है। इसी बीच, तमिलनाडु पुलिस ने इसी तरह के एक गैंग का पर्दाफाश किया है जो खाड़ी क्षेत्र के देशों में नौकरी देने के नाम पर भारतीय युवकों को थाइलैंड ले जाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
युवाओं को विदेश में नौकरी का झांसा
पिछले एक वर्ष में विदेश मंत्रालय (MEA) ने कई बार इस मुद्दे पर चिंता जताई है और सतर्कता बरतने की सलाह दी। फिर भी सैकड़ों युवा ठगी के जाल में फंसकर साइबर फ्राड केंद्रों में कैद हो रहे हैं। हजारों भारतीयों को स्वदेश सुरिक्षत लाने के बावजूद जानकारों का कहना है कि जिस तरह का समन्वय भारतीय एजेंसियों के बीच चाहिए, उसका अभाव है।
भारतीय युवाओं को निशाना बनाने वाले गिरोहों के तार थाइलैंड से जुड़े हैं। यह बात पहले भी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने थाइलैंड के सामने उठाया है और माना जा रहा है कि सोमवार को विदेश मंत्री एस.जयशंकर और थाइलैंड के विदेश मंत्री सिहासाक फौंगकेटक्यू के बीच होने वाली बैठक में भी यह मुद्दा उठा है।
विदेश मंत्रालय ने जताई चिंता
विदेश मंत्रालय की मदद से ईरान से लेकर म्यांमार तक में युवाओं को बचाने को लेकर जो आपरेशन चलाए गए, उन सभी में थाइलैंड स्थित गिरोहों का हाथ सामने आया है। खास तौर पर स्थानीय स्तर पर गिरोहों पर नकेल करने में पुलिस बल असफल रही है।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जांच एजेंसियों के साथ समन्वय करने वाले एक अधिकारी का कहना है कि अभी केंद्र व राज्यों की एजेंसियों के बीच एक बेहतर नेटवर्किंग की बात हो रही है। उससे फर्क पड़ेगा।
लेकिन अभी इन अंतरराष्ट्रीय गिरोहों को पार करना मुश्किल लग रहा है। जिस स्तर पर इनके नेटवर्क का पता चल रहा है, वह बताता है कि ये ना सिर्फ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि इन्होंने कई देशों की एजेंसियों के लोगों को भी अपने पक्ष में कर रखा है।
म्यांमार में बंधक बनाए गए भारतीय
विदेशों में नौकरी दिलाने वाले इन सिंडिकेट के निशाने पर अमूमन ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों के बेरोजगार होते हैं। भारतीय एजेंट दुबई-बैंकाक के दलालों और म्यांमार-थाईलैंड बार्डर के आर्म्ड ग्रुप्स (जैसे करेन बार्डर गार्ड फोर्स) के साथ मिलकर काम करते हैं।
युवाओं को इंटरनेट मीडिया पर आकर्षक सैलरी (50 हजार से एक लाख रुपये मासिक) का लालच देकर थाईलैंड भेजा जाता है, लेकिन वहां से अवैध रूप से म्यांमार के म्यावाडी या केके पार्क जैसे स्कैम हब्स में ट्रैफिक किया जाता है। वहां प्रतिरोध करने पर टार्चर, इलेक्टि्रक शाक की धमकियां दी जाती हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया में 2 लाख से अधिक लोग फंसे
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचनाओं के मुताबिक पिछले एक वर्ष में भारतीय दूतावासों व उच्चायोगों ने दूसरे देशों से संपर्क स्थापित कर दो हजार से ज्यादा भारतीयों को वापस लाने में सफलता हासिल की है। लेकिन इससे काफी ज्यादा संख्या में भारतीय युवाओं के विदेश में फंसे होने की आशंका है।
हाल ही में म्यांमार से वापस लगाए गए युवाओं ने बताया कि वहां पांच से दस हजार भारतीय बंधक हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व एशिया में 2 लाख से अधिक लोग (जिनमें हजारों भारतीय) ऐसे सेंटरों में फंसे हैं, जो सालाना अरबों डालर का फ्राड चला रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने कई बार इंटरनेट मीडया, प्रेस रिलीज व आधिकारिक एडवाइजरी के जरिये भारतीय युवाओं को आगाह किया कि विदेशी नौकरी के आफर के सत्यापन बिना कहीं न जाएं।
मार्च 2025 में 549 भारतीयों को म्यांमार-थाईलैंड बार्डर से बचाने के बाद एमईए ने फिर चेतावनी जारी की कि दुबई, बैंकाक और भारतीय शहरों से संचालित एजेंट युवाओं को थाईलैंड की फर्जी आइटी जाब्स का लालच देकर म्यांमार के फ्राड सेंटरों में धकेल रहे हैं। |