डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस हफ्ते भारत-रूस की दोस्ती को नई रफ्तार मिलने वाली है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के बुलावे पर भारत आ रहे हैं।
इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच मिसाइलों, एयर डिफेंस सिस्टम, फाइटर जेट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तक में बेहतर सहयोग देखने को मिल सकता है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-रूस की पार्टनरशिप ने अपनी काबिलियत साबित की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिससे जंग के मैदान में भारत को अहम बढ़त मिली। मिसाइलों से लेकर एयर डिफेंस सिस्टम, फाइटर जेट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तक, रूसी टेक्नोलॉजी ने भारत की कामयाबी में अहम रोल निभाया था।
भारत-रूस सहयोग के इतिहास की कहानी
भारत और रूस के बीच डिफेंस में सहयोग बरसो पुराना है। 1970 के दशक में इंडियन एयर फोर्स रूस से मिली SAM-2 मिसाइल इस्तेमाल करती थी। ब्रह्मोस, जिसका नाम ब्रह्मपुत्र और मॉस्को नदियों के नाम पर रखा गया है, भारत-रूस के तालमेल का एक शानदार उदाहरण है।
\“ऑपरेशन सिंदूर\“ के दौरान ब्रह्मोस की भूमिका शानदार थी। दुश्मन के इलाके में टारगेट को जिस सटीकता के साथ साधा गया वह ब्रह्मोस की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की खासियतों की वजह से था।
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम: एक गेम-चेंजर
भारत द्वारा रूस से खरीदा गया S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ऑपरेशन सिंदूर के दौरान गेम-चेंजर साबित हुआ। इसके अलावा सुखोई फाइटर जेट्स ने भी ऑपरेशन के दौरान अहम हमले किए थे।
बता दें सुखोई, भारत की एयर पावर का मुख्य आधार है जिसे रूस से लाइसेंस के तहत भारत में बनाए गया है। |