Yuddhistir Curse: युधिष्ठिर का श्राप।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय महाकाव्य महाभारत केवल युद्ध की गाथा नहीं है, बल्कि यह धर्म, नीति का अद्भुत पाठ है। इन कथाओं में से एक कथा है धर्मराज युधिष्ठिर का श्राप (Yuddhistir Curse), जिसे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज भी सच माना जाता है, तो आइए इस श्राप के बारे में विस्तार से जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
श्राप की वजह
महाभारत कथा के अनुसार, जब पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त कर ली, तब पांडवों की माता कुंती (Mahabharata Women Secret) ने एक ऐसा रहस्य साझा किया जिसने युधिष्ठिर समेत सभी पांडवों को हैरान कर दिया। कुंती ने रोते हुए युधिष्ठिर को बताया कि जिसके विरुद्ध उन्होंने यह भयंकर युद्ध लड़ा, वह कोई और नहीं, बल्कि उनका सबसे बड़ा भाई सूर्यपुत्र कर्ण था।
कर्ण, कुंती का सबसे बड़ा पुत्र था, जिसे उन्होंने विवाह से पहले उत्पन्न होने के कारण लोकलाज के भय से त्याग दिया था। यह सच्चाई कुंती ने युद्ध के अंत तक छिपाए रखी थी।
युधिष्ठिर का क्रोध
यह सुनकर युधिष्ठिर क्रोध से भर गए। उन्होंने सोचा कि अगर उन्हें यह सच्चाई पहले पता होती, तो यह भीषण नरसंहार टाला जा सकता था। इसके साथ ही पांडवों को अपने ही भाई को मारने के भयानक पाप का बोझ भी नहीं उठाना पड़ता। इस विनाशकारी रहस्य को छिपाने के लिए युधिष्ठिर ने अपनी माता कुंती के साथ पूरे स्त्री समाज को दोषी ठहराया।
युधिष्ठिर ने दिया था यह श्राप
दुःख और पश्चाताप की भावना से भरे युधिष्ठिर ने अपनी माता समेत (Yudhishthira Kunti Shrap) सभी महिलाओं को यह श्राप दिया कि महिलाएं किसी भी बात को छिपा नहीं पाएंगी।
आज भी है श्राप का असर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज भी इस श्राप का असर महिलाओं पर है। ऐसा माना जाता है कि इसी श्राप के कारण महिलाएं मन की बात या कोई भी गुप्त बात को लंबे समय तक अपने तक नहीं रख पातीं और वे अपनी बातों को किसी न किसी से साझा कर देती हैं।
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