बंगाल के गंगासागर मेले 20 साल पहले लापता हुई थी MP की महिला (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। करीब 20 साल पहले बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में गंगासागर मेले में लापता हुई मध्यप्रदेश के सागर जिले की महिला रतिया अहिरवार (75) का बांग्लादेश के चांपाई नवाबगंज जिले में होने का पता चला है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वह अपने पति और गांव वालों के साथ मेले में मकर संक्रांति स्नान के लिए आई थी। मेले में अधिक भीड़ के कारण वह खो गई। परिवार वालों ने तब काफी खोजबीन की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। वह मानसिक रूप से भी बीमार थी। इसके बाद वह बांग्लादेश पहुंच गई। माना जा रहा है कि किसी अन्य तीर्थयात्री के साथ वह सीमा पार चली गई थी।
कहां की रहने वाली हैं वृद्ध महिला
हाल में बांग्लादेश के हैम रेडियो के सदस्य अब्दुल गनी फितु को सूचना मिली कि बांग्लादेश के चांपाई नवाबगंज जिले के गोलाबाड़ी में एक बूढी औरत है जो सिर्फ सागर... सागर बोलती है। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी वेस्ट बंगाल हैम रेडियो क्लब के सचिव अंबरिश नाग विश्वास और सदस्य दिबस मंडल को दी।
नाग ने बताया कि 18 दिन की लगातार कोशिश के बाद पता चला कि वह मध्यप्रदेश के सागर जिले के बांदा थाना इलाके के खजरा भेदा गांव की रहने वाली है। दिल्ली में काम कर रहे उसके बेटों राजेश व गणेश को जब इसकी सूचना दी गई तो वे हैरान रह गए, क्योंकि वह अपनी मां को मृत मान बैठे थे।
खुशी से झूम उठे गांव वाले
जब वृद्धा के बेटों ने इसकी जानकारी गांव वालों को दी तो वे खुशी से झूम उठे। रतिया के पति बालीचंद अहिरवार और एक पुत्र पुराण अहिरवार का निधन हो चुका है। शुरुआत में जब रतिया की उसके बेटे राजेश से वीडियो काल पर बात कराई गई तो वह अपनी मां को पहचान नहीं पा रहा था। बाद में वृद्धा को ब्यूटी पार्लर ले जाकर नहलाया-धुलाया गया, साफ कपड़े पहनाए गए।
इसके बाद जब उनकी फोटो बेटे राजेश को दिखाई गई तो वह चीख पड़ा और कहा-ये तो मेरी मां है। पूरी घटना की जानकारी दक्षिण 24 परगना जिला प्रशालन को दी गई। जिला प्रशासन की तरफ से बांग्लादेश हाई कमीशन, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखे गए हैं। दोनों देशों के दूतावासों के माध्यम से रतिया को भारत लाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
यह है हैम रेडियो
हैम रेडियो, जिसे शौकिया रेडियो भी कहते हैं, एक लाइसेंस प्राप्त, गैर-व्यावसायिक रेडियो संचार सेवा है, जो लोगों को रेडियो तरंगों का उपयोग करके आपस में बात करने की अनुमति देती है। इसका उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों, तकनीकी प्रयोग और आपातकालीन स्थितियों में किया जाता है, जहां यह संचार का एक विश्वसनीय माध्यम बन सकता है।
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