मोनाड विश्वविद्यालय। (फाइल फोटो)
संवाद सहयोगी, पिलखुवा (हापुड़)। हापुड़ में मोनाड विश्वविद्यालय में बुधवार को शिक्षकों ने वेतन संकट के खिलाफ सामूहिक रूप से अपनी पीड़ा प्रशासन के समक्ष रखी। लंबे समय से रोके गए वेतन के कारण कई परिवार आर्थिक संकट, तनाव और बढ़ती जिम्मेदारियों के दबाव में टूटते दिखाई दे रहे हैं। प्रतीक्षा, निवेदन और गुहार के बावजूद प्रबंधन की चुप्पी ने असंतोष को और भड़का दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शिक्षकों ने प्रशासन को सौंपे गए पत्र में कहा कि लगातार कई माह से वेतन रोका जाना न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि परिवार की मूलभूत जरूरतें पूरा न होने से स्थिति भयावह हो गई है। इसके बावजूद छात्रहित सर्वोपरि मानकर वे नियमित रूप से अध्यापन कर रहे हैं, जबकि घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और घरेलू जिम्मेदारियां संभालना दिन प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बीते दिनों भी जब वेतन के सवाल पर बात हुई तो प्रबंधन ने एसटीएफ और ईडी की जारी जांच का हवाला देकर निर्णय टाल दिया। इससे स्थिति और उलझी है, क्योंकि जांचों का वेतन से कोई प्रत्यक्ष संबंध न होने के बावजूद कर्मचारियों को मानसिक रूप से झकझोरने वाला माहौल बनाया जा रहा है।
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वहीं, पत्र सौंपने वालों में मोहित कुमार, राहुल गौतम, सन्तोष कुमार, श्रवण, लोकेंद्र कुमार, अभिषेक बालियान और प्रिन्सी शर्मा सहित सभी छब्बीस शिक्षक शामिल रहे। इन सभी की ओर से संयुक्त रूप से कहा गया, सभी शिक्षक छात्रों की शिक्षा से समझौता नहीं कर रहे, परंतु परिवार की आवश्यकताएं पूरी न होने से संकट बढ़ रहा है। प्रबंधन तत्काल वेतन जारी करे ताकि सभी जीवनयापन कर सकें। |