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जोमैटो-अमेजन नए लेबर लॉ के हिसाब से कैसे देंगे गिग वर्कर को फायदा, कंपनियों ने क्या कहा

Chikheang 11 hour(s) ago views 505

  

पहली बार गिग वर्कर, प्लेटफॉर्म वर्कर और \“एग्रीगेटर\“ की कानूनी परिभाषा दी गई है।  



नई दिल्ली। मोदी सरकार ने देश में नए लेबल लॉ का युग शुरू करते हुए चार नए श्रम संहिताओं को शुक्रवार को अधिसूचित कर दिया। इन संहिताओं के लागू होने से अब तक की 29 पुरानी श्रम कानूनों को 4 नए श्रम कानून में बदल दिया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसका सबसे बड़ा असर गिग इकॉनॉमी पर पड़ेगा, क्योंकि पहली बार गिग वर्कर, प्लेटफॉर्म वर्कर और \“एग्रीगेटर\“ की कानूनी परिभाषा दी गई है। क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा गिग वर्कर, अमेजन, फ्लिपकार्ट और जौमैटो जैसे प्लेटफॉर्म के हैं ऐसे में इनके मैनेजमेंट ने नए श्रम कानून पर क्या कहा आइए जानते हैं।
जोमैटो (अब इटर्नल लिमिटेड) ने किया स्वागत

जोमैटो और ब्लिंकिट की पैरेंट कंपनी इटर्नल लिमिटेड (पूर्व में जोमैटो लिमिटेड) ने शनिवार को नए श्रम संहिताओं का स्वागत करते हुए कहा कि ये बदलाव गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेंगे। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि, हम कई साल से सरकार के साथ इस प्रक्रिया में जुड़े रहे हैं और लगातार अपना इनपुट देते रहे हैं। हमें विश्वास है कि इन नियमों से होने वाला वित्तीय प्रभाव हमारे बिजनेस की लंबी अवधि की सेहत और स्थिरता पर नकारात्मक असर नहीं डालेगा। हम काफी समय से इन सामाजिक सुरक्षा योगदानों की तैयारी कर रहे हैं।
अमेजन कर रहा मूल्यांकन

अमेजन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि हम सरकार के श्रम सुधारों के इरादे का स्वागत करते हैं। हम इन बदलावों का मूल्यांकन कर रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा संहिता (CoSS) हमारे मौजूदा प्राथमिकताओं में कर्मचारियों की सुरक्षा, कल्याण और सुविधा के साथ पूरी तरह से संरेखित है।
क्या हैं नए प्रावधान?

एग्रीगेटर कंपनियों को अपने सालाना टर्नओवर का 1-2% (अधिकतम 5% तक सीमित) गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कल्याण कोष में देना होगा।
सभी गिग वर्कर्स को आधार से लिंक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) मिलेगा, जिससे राज्य बदलने पर भी उनका सामाजिक सुरक्षा लाभ बना रहेगा।
फूड डिलीवरी, राइड-शेयरिंग, ई-कॉमर्स डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स आदि सभी क्षेत्रों के प्लेटफॉर्म वर्कर्स को इसका लाभ मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय


सिरिल अमरचंद मंगलदास की पार्टनर सौम्या कुमार ने कहा कि एग्रीगेटर कंपनियों की परिचालन लागत बढ़ेगी, लेकिन वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार अब कौन-सी योजना बनाती है? टर्नओवर की गणना कैसे होगी, कितनी बार योगदान देना होगा, वर्कर्स को कैसे लाभ मिलेगा आदि? सरकार ने पहले ही विभिन्न एग्रीगेटरों (फूड डिलीवरी, राइड-शेयरिंग, ई-मार्केटप्लेस आदि) के साथ इस योजना पर चर्चा कर ली है।
चार नए श्रम संहिता कौन सी हैं

वेतन संहिता, 2019
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020
व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020

ये सुधार भारत के निर्यात क्षेत्र को मजबूत करने के साथ-साथ श्रम बाजार को अधिक लचीला, सरल और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं।
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