cy520520 • 2025-11-27 01:18:28 • views 157
प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई पर एक अधिवक्ता द्वारा जूता फेंकने की घटना की दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को निंदा की। संबंधित प्रकरण से जुड़े वीडियो को इंटरनेट मीडिया से हटाने की मांग से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना से न केवल बार के सदस्यों को बल्कि पीठ को भी ठेस पहुंची है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अदालत ने टिप्पणी की कि अदालत याचिकाकर्ता की चिंताओं के प्रति गंभीर है। यह किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि पूरे संस्थान का मामला है। समाज में ऐसी घटनाओं की न केवल निंदा की जानी चाहिए, बल्कि कुछ कदम भी उठाए जाने चाहिए।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की चिंताओं से सहमत हैं। याचिकाकर्ता तेजस्वी मोहन ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि अगर भविष्य में ऐसी घटनाएं होती हैं, तो व्यक्ति की पहचान छिपाई जाए ताकि उन्हें प्रचार न मिले।
याची ने यह भी कहा कि जो लोग इस तरह की हरकतें कर रहे हैं, वे झूठे प्रचार के लिए ऐसा कर रहे हैं। जैसे ही उनकी पहचान छिपाई जाएगी, इससे दूसरे लोग ऐसा करने से हतोत्साहित होंगे। वहीं, एएसजी ने अदालत के समक्ष कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा शुरू की गई न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शीर्ष अदालत में लंबित है।
उन्होंने कहा कि ये कार्यवाही अवमानना की कार्यवाही तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि शीर्ष अदालत ने संकेत दिया है कि इसका दायरा बढ़ाया भी जा सकता है। उक्त तर्काें को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि वह मामले को हाई कोर्ट में लंबित रखेगा।
यदि याचिकाकर्ता तेजस्वी मोहन सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने में विफल रहते हैं, तो हाई कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा। इसके साथ ही अदालत ने मामले को आगे के विचार के लिए चार दिसंबर के लिए स्थगित कर दिया।
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