ट्रेन का सफर करते राज्यपाल डा. सीवी आनंद बोस। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, कोलकाता: धनधान्य एक्सप्रेस ट्रेन में बुधवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब बंगाल के राज्यपाल डा. सीवी आनंद बोस आम आदमी की तरह यात्रा करते दिखे। एसआइआर शुरू होने के बाद से घुसपैठियों के बांग्लादेश वापस लौटने की खबरों के बीच राज्यपाल बोस मुर्शिदाबाद जिले जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर जमीनी हालात का जायजा लेने के बाद सुबह धनधान्य एक्सप्रेस से वापस कोलकाता लौट रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ट्रेन में यात्रा के दौरान जब टिकट जांच परीक्षक (टीटीई) सुकुमार बेरा यात्रियों के टिकटों की जांच कर रहे थे, तो राज्यपाल ने उन्हें मोबाइल पर अपना ई- टिकट भी दिखाया।
ट्रेन में यात्रा पर राज्यपाल ने क्या कहा?
ट्रेन में एक आम आदमी की तरह यात्रा के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि मैं चाहता हूं कि आम लोग भी मुझे अपने बीच में देखें। उन्होंने कहा, “मैं राज्यपाल हूं, लेकिन मैं भी एक आम नागरिक हूं, और मैं चाहता हूं कि आम लोग भी मुझे अपने बीच में देखें।“
वहीं, राज्यपाल के इस कदम की प्रशंसा करते हुए टीटीई बेरा ने कहा कि मेरे लिए यह एक अद्भुत अनुभव है। राज्यपाल का यह कदम आम लोगों के बीच एक संदेश देता है कि वे भी आम आदमी की तरह हैं, और वे उनकी समस्याओं को समझते हैं।
स्कूल का किया दौरा
मंगलवार को सीमावर्ती मुर्शिदाबाद जिले के दौरे पर जाते समय राज्यपाल डा सीवी आनंद बोस ने ट्रेन में अपने बगल की सीट पर बैठीं एक महिला शिक्षिका से बातचीत व उनके अनुरोध पर अपना कार्यक्रम बदल दिया था। शिक्षिका के अनुरोध पर राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद के जियागंज में एसएन गर्ल्स हाईस्कूल का दौरा किया, जहां शिक्षिका काम करती हैं।
राज्यपाल ने स्कूल के बच्चों और शिक्षकों के साथ खुलकर बात की। अपने बीच अचानक राज्यपाल को पाकर बच्चों व शिक्षकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राज्यपाल ने स्कूल के विकास के लिए तत्काल 10 हजार रुपये की मदद भी दी। साथ ही स्कूल को और दो लाख रुपये देने का वादा किया। इसके बाद राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर जाकर हालात का जायजा लिया था।
राजभवन के दरवाजे लोगों के लिए खुले हैं: राज्यपाल
बता दें कि 23 नवंबर को बंगाल के राज्यपाल के रूप में तीन साल पूरे होने और चौथे वर्ष में प्रवेश के मौके पर राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान राज्यपाल बोस ने कहा था कि मैं खुद को बंगाल के लोगों, खासकर बच्चों, नई पीढ़ी, बुजुर्गों और समाज के सभी वर्गों की सेवा में लगा दूंगा। राजभवन के दरवाजे आम लोगों के लिए खुले रहेंगे।
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