मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर सांसद अरुण गोविल के निवास पर घेराव करने पहुंचे अधिवक्ता। जागरण
जागरण संवाददाता, मेरठ। पश्चिम में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर आज बुधवार को पश्चिम के सभी 22 जनपदों में अधिवक्ताओं ने न्यायालय में कार्य नहीं किया और अपने-अपने क्षेत्र के सांसद के घर पहुंचकर धरना दिया और उनका घेराव कर हाईकोर्ट बेंच की मांग को सदन में उठाकर पूरा कराने की अपील की। मेरठ बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बागपत सांसद राजकुमार सांगवान, राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत वाजपेई और मेरठ सांसद अरुण गोविल की आवाज पर प्रदर्शन किया और सांसदों का घेराव किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
घेराव करने गए अधिवक्ता उसे समय आश्चर्य में पड़ गए जब राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत वाजपेई के आवास पर टेंट लगा मिला और शहनाई बजाकर आंदोलनकारी अधिवक्ताओं का स्वागत किया गया। अधिवक्ताओं को उन्होंने रेवड़ी खिलाई और जलपान कराया। तीनों सांसदों ने अधिवक्ताओं को इस आंदोलन में पूरा साथ देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि इस मांग को सदन में उठाया जा चुका है अब प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और कानून मंत्री से मिलने का समय मांगा गया है।
अधिवक्ताओं की मुलाकात जल्द सरकार से कराई जाएगी। राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत वाजपेई ने बताया कि वे प्रदेश में बनारस, गोरखपुर, आगरा और मेरठ चार स्थानों पर बेंच की स्थापना का प्रस्ताव रखेंगे। अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में चार बेंच स्थापित होने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
न्याय की आस में दर-दर की ठोकरे खा रही जनता
मेरठ बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन के सैंकड़ों अधिवक्ता बुधवार सुबह 10:00 बजे मेरठ बार के पंडित नानकचंद सभागार में एकत्र हुए। अधिवक्ताओं ने आज न्यायालय में काम नहीं किया और कचहरी परिसर में घूमकर सभी दुकानों को भी बंद करा दिया। पैदल जुलूस निकालकर सबसे पहले पश्चिमी कचहरी मार्ग स्थित बागपत सांसद राजकुमार सांगवान के आवास पर पहुंचे। यहां से मोहनपुरी स्थित राज्यसभा सदस्य डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई के आवाज पर पहुंचकर ज्ञापन दिया।
डिफेंस कॉलोनी में मेरठ सांसद अरुण गोविल के आवास पर उनके प्रतिनिधि अमित शर्मा को ज्ञापन दिया। हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन संजय शर्मा और संयोजक राजेंद्र सिंह राणा ने इस दौरान कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोग न्याय पाने के लिए कई 100 किलोमीटर तक भटक रहे हैं और खून पसीने की कमाई को खर्च कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है। इसका समाधान पश्चिम में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना से ही हो सकता है। इस मांग को लेकर 50 साल से ज्यादा समय से आंदोलन चल रहा है, लेकिन राजनीतिक ताकत ना होने के कारण सफलता नहीं मिल रही है।
लक्ष्मीकांत बोले-एक नहीं कर बेंच की करेंगे मांग
राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत वाजपेई ने अपने आवास पर पहुंचे अधिवक्ताओं के स्वागत में टेंट लगाकर कुर्सियां बिछा रखी थीं। शहनाई बजवाकर अधिवक्ताओं का उन्होंने स्वागत किया और रेवड़ी व चाय के साथ जलपान भी कराया। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर वे लगातार प्रयासरत हैं। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि प्रदेश में जनता को त्वरित और सस्ता न्याय दिलाने के लिए वह एक नहीं गोरखपुर बनारस आगरा और मेरठ समय चार स्थानों पर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के पक्ष में है। उन्होंने ई-फाइलिंग सेंटर के संचालन में हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों को समाप्त करने के लिए भी प्रयास करने का आश्वासन दिया।
मैं पहले अधिवक्ता... बाद में सांसद, जल्द होगी गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से मुलाकात
बागपत सांसद राजकुमार सांगवान ने अधिवक्ताओं का ज्ञापन लेकर उन्हें संबोधित किया। कहां कि मैं सांसद बागपत क्षेत्र का हूं, लेकिन अधिवक्ता हूं और मेरठ बार का सदस्य हूं। मैं पहले अधिवक्ता हूं, उसके बाद सांसद। पश्चिम की जनता को हाईकोर्ट बेंच की सख्त जरूरत है यह बननी चाहिए। हमने इसके लिए सदन में मांग भी की है। अब अधिवक्ताओं को पहले जयंत चौधरी और कानून मंत्री से मिलवाया जाएगा। उसके बाद गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से भी मिलने का समय लिया जाएगा। कहा कि अब हाईकोर्ट बेंच की स्थापना होकर रहेगी।
हमने मांगा है प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मुलाकात का समय
मेरठ सांसद अरुण गोविल आज मेरठ में नहीं थे। अधिवक्ताओं से उन्होंने फोन के माध्यम से बात की। उन्होंने कहा कि पश्चिम के लोगों की यह सबसे बड़ी जरूरत है, जिसे पूर्व समय में ही पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन नहीं हो सका। हम इस मांग का पहले दिन से समर्थन कर रहे हैं। इस आंदोलन में अधिवक्ताओं के साथ हैं। पूर्व में ही प्रधानमंत्री गृहमंत्री और कानून मंत्री को पत्र भेज कर इस जरूरत की जानकारी दी जा चुकी है और उनसे मिलने का समय मांगा गया है। जल्द पश्चिम के अधिवक्ताओं को इनसे मिलवाया भी जाएगा। |