राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पशु चिकित्सकों की गोपनीय प्रविष्टी (सीआर) लिखने के बदले रिश्वत मांगने के मामले में प्रयागराग के अपर निदेशक ग्रेड-2 रहे डा. कृष्णपाल सिंह फंस गए है। 40 चिकित्सकों ने उन पर धन की मांग करने और पैसा न दिए जाने पर सत्यनिष्ठा संदिग्ध करने का आरोप लगाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शपथपत्र पर शिकायत के बाद हुई जांच में 22 चिकित्सकों द्वारा आरोपों की पुष्टि की गई है। जिसके बाद प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने आरोपित को नोटिस जारी कर 15 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।
वाराणसी में संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात डा. कृष्णपाल सिंह पर वर्ष 2024 में मार्च से दिसंबर तक प्रयागराज के अपर निदेशक ग्रेड-2 का अतिरिक्त प्रभार रहा था। उनके विरुद्ध उप्र पशुचिकित्सा संघ के अध्यक्ष डा. संजीव कुमार सिंह सहित 40 पशु चिकित्सकों ने शपथ-पत्र देकर शिकायत की।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि डा. कृष्णपाल सिंह द्वारा गोपनीय प्रविष्टि ठीक लिखने के बदले उनसे पैसे की मांग की जाती थी। डा. संजीव कुमार सिंह से 50 हजार रुपये की मांग की गई। डा. उमेश कुमार पटेरिया को भी घर बुलाकर धनराशि की मांग की गई।
दोनों अधिकारियों ने उत्कृष्ट कार्य किया था और प्रतिवेदक ने उन्हें ग्रेड-10 और सत्यनिष्ठा प्रमाणित की थी। उक्त अधिकारियों को विभागीय मंत्री और मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया है, फिर भी रिश्वत न मिलने पर उनकी सत्यनिष्ठा ‘संदिग्ध’ कर दी गई।
डाॅ. शारदा सिंह को कथित रिश्वत न देने पर दो श्रेणी नीचे कर दिया गया। शिकायत पर विभाग ने अपर निदेशक ग्रेड-1 पशु जैविक औषधि संस्थान बादशाहबाग से जांच कराई गई थी। जांच अधिकारी ने 26 सितंबर को अपनी आख्या विभाग को सौंप दी।
आख्या में कहा गया है कि जांच अधिकारी के सामने प्रस्तुत हुए 37 पशु चिकित्सकों में से 22 द्वारा सीआर लिखने के बदले पैसाें की मांग करने की पुष्टि की गई। निदेशक की और तीन अक्टूबर को जांच आख्या प्रमुख सचिव को भेजी गई थी। जिस पर प्रमुख सचिव द्वारा 15 नवंबर को डा. कृष्णपाल सिंह को जारी नोटिस में कहा गया है कि 15 दिन में उत्तर न मिलने पर अग्रिम निर्णय लिया जाएगा।
मामले में प्रमुख सचिव ने बताया कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत कार्य किया जा रहा है। आरोपित का स्पष्टीकरण मिलने के बाद कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।
आनलाइन खराब की प्रविष्टी, आफलाइन में सुधारी
मामले में आरोपित अधिकारी द्वारा कई पशु चिकित्साधिकारियों की गोपनीय प्रविष्टी आनलाइन खराब दर्शाते हुए उनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध की गई है, फिर बाद में आफलाइन उसे ठीक कर दिया गया।
इस मामले में प्रमुख सचिव ने आदेश दिए हैं कि आनलाइन एवं आफलाइन दोनों स्तर पर चरित्र प्रविष्टि का अलग-अलग अंकन होने से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इसलिए मैनुअल प्रविष्टि को स्वीकार करते हुए आनलाइन प्रविष्टि को अमान्य कर दिया जाए। |