हजारीबाग जेल में कैदियों के वेतन की चोरी
जागरण संवाददाता, हजारीबाग। जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा (हजारीबाग सेंट्रल जेल) में सजायाफ्ता कैदियों की मजदूरी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत सामने आने के बाद मामला गंभीर हो गया है।
150 से अधिक कैदियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें मिलने वाली मजदूरी का 50 प्रतिशत हिस्सा जेलकर्मियों द्वारा जबरन ले लिया जाता है। इस गंभीर आरोप की जांच के लिए एआईजी तुषार रंजन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है, जिसमें बंदी कल्याण पदाधिकारी और एक प्रोबेशन अधिकारी को सदस्य बनाया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
समिति एक बार हजारीबाग सेंट्रल जेल का निरीक्षण कर चुकी है। जांच के दौरान जिस जेलकर्मी शंभु साव पर मजदूरी की वसूली कराने का आरोप है, वह मौजूद नहीं मिला। बाद में उसका तबादला कर दिया गया और जानकारी के अनुसार उसने जेल सेवा भी छोड़ दी है। शंभु साव भूतपूर्व सैनिक बताया जाता है।
हजारीबाग सेंट्रल जेल में करीब 900 सजायाफ्ता कैदी हैं। इनमें से कई कैदियों का कहना है कि मजदूरी की राशि उनके बैंक खातों में भेजी जाती है, लेकिन निकासी के समय मात्र 50 प्रतिशत ही उन्हें दिया जाता है। कैदी स्वयं बैंक नहीं जा सकते, इसलिए विथड्रॉल स्लिप के माध्यम से पैसा निकाला जाता है, जहां कथित कटौती होती है।
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार सजायाफ्ता कैदियों को अकुशल, कुशल और अति-कुशल श्रेणियों में बांटकर मजदूरी दी जाती है। मजदूरी का एक तिहाई हिस्सा पीड़ित पक्ष को दिए जाने का प्रावधान है।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी कैदी को प्रतिदिन 1 रुपये मजदूरी मिलती है तो 33 पैसा पीड़ित परिवार को और 67 पैसा कैदी को मिलना चाहिए। हालांकि आरोप है कि श्रेणी निर्धारण में भी मनमानी की जाती है, जिससे कैदी कम मजदूरी पाते हैं।
मजदूरी में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच फिलहाल जारी है। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट में और भी कई अनियमितताओं का खुलासा हो सकता है। रिपोर्ट आने के बाद संबंधित कर्मियों पर कार्रवाई की संभावना प्रबल है। |