आदित्य राज, गुरुग्राम। गुरुग्राम में आईटी, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, गारमेंट्स एवं मेडिकल सेक्टर के हब के रूप में पूरी दुनिया में पहचान बनाने वाली साइबर सिटी को 23 साल से ट्रांसपोर्ट नगर का इंतजार है। इस दौरान सरकारें बदलती गईं लेकिन किसी ने ट्रांसपोर्ट नगर विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वर्षों बाद वर्ष 2021 के दौरान हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने सर्वे कराया था तो उम्मीद जगी थी कि योजना सिरे चढ़ेगी लेकिन स्थिति जस की तस। नतीजा यह है कि छोटे ट्रांसपोर्टर सड़कों के किनारे, ग्रीन बेल्ट के किनारे या फिर कहीं भी खाली जगह पर वाहन खड़े करने को मजबूर हो रहे हैं। सड़कों के किनारे वाहन खड़े किए जाने से जहां जाम लगता है वहीं हादसे भी होते हैं।
वर्ष 2002 के दौरान तत्कालीन प्रदेश सरकार ने हीरो होंडा चौक के नजदीक सेक्टर-34 इलाके में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए 100 एकड़ जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी। योजना पर ध्यान न दिए जाने के कारण धीरे-धीरे जमीन पर अतिक्रमण होना शुरू हो गया।
नतीजा यह है कि आधी जमीन पर अतिक्रमण हो चुका है। जितनी जगह बची है उस पर जैसे-तैसे ट्रांसपोर्टर वाहन खड़े करते हैं। ट्रांसपोर्टरों की मांग पर वर्ष 2021 के दौरान नगर बनाने को लेकर एचएसवीपी ने सक्रियता दिखाई दी थी। सर्वे के माध्यम से यह पता किया गया था कि शहर में छोटे ट्रांसपोर्टर कितने हैं और किन-किन इलाकों में उनके कार्यालय हैं। सर्वे के बाद ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का ले-आउट प्लान भी तैयार कर लिया गया था। कुछ दिन बाद फिर योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
चार की आवश्यकता, एक भी नहीं
साइबर सिटी से लेकर मानेसर तक इलाके में कम से कम चार ट्रांसपोर्ट नगर की आवश्यकता है लेकिन एक भी नहीं। उद्योग विहार में दो, हीरो होंडा चौक के नजदीक एक एवं एक ट्रांसपोर्ट नगर मानेसर में बनाने की तत्काल आवश्यकता है। इस बारे में ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन लगातार मांग उठा रही है लेकिन कोई सुनवाई नहीं। जिले में सैकड़ों ट्रांसपोर्टर हैं।
इनमें कुछ बड़े ट्रांसपोर्टर हैं जो मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड, हीरो मोटो कार्प, होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स आदि बड़ी कंपनियों से जुड़े हैं। इन ट्रांसपोर्टरों के पास अपनी जगह है लेकिन शहर से काफी दूर है। प्लांटों में वाहनों को लोड करने के लिए काफी दूर से ट्रांसपोर्ट को आना पड़ता है। इससे सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ता है।
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बड़े ट्रांसपोर्टरों के पास अपनी जगह है। छोटे ट्रांसपोर्टर कहां जाएं। कहीं कोई सुनवाई नहीं हाे रही है। सड़कों के किनारे वाहन खड़ा करने पर पुलिस कार्रवाई करती है। सड़कों के किनारे या कहीं भी खाली जगह पर छोटे ट्रांसपोर्टर वाहन खड़े करने को मजबूर हैं। साइबर सिटी में एक भी ट्रांसपोर्ट नगर का नहीं होना यह दर्शाता है कि शासन-प्रशासन का सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान नहीं। अब तो कम से कम चार ट्रांसपोर्ट नगर होने चाहिए। - हुकमचंद शर्मा, अध्यक्ष, गुरुग्राम ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन
साइबर सिटी की पूरी दुनिया में पहचान है। इसके हिसाब से हर तरह की सुविधाएं विकसित होनी चाहिए। बाहर के लोग यह सोच भी नहीं सकते कि साइबर सिटी में ट्रांसपोर्ट नगर नहीं। कम से कम चार ट्रांसपोर्ट नगर विकसित करने पर जोर देना होगा तब बात बनेगी। उद्योग विहार इलाके में दो चाहिए। दूर से वाहनों के आने-जाने पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ता है। समय व ईंधन का खर्च अधिक होता है, वह अलग। सेक्टर-18 से वाहनों को लोड करने के लिए कई किलोमीटर दूर से कंटेनर पहुंचते हैं। इससे देश का कितना नुकसान हो रहा है। - रोहित सिंह तोमर, अध्यक्ष, कार कैरियर एसोसिएशन ऑफ इंडिया
आगामी विधानसभा सत्र में साइबर सिटी में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की मांग को प्रमुखता से उठाया जाएगा। ट्रांसपोर्टरों के अनुसार ही चार ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की मांग रखी जाएगी। पूरी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस मांग को स्वीकार करेंगे। वह चाहते हैं कि साइबर सिटी में हर तरह की सुविधाएं विकसित हों। हीरो होंडा चौक के नजदीक ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की योजना सिरे क्यों नहीं चढ़ी, इस बारे में भी जानकारी हासिल की जाएगी। - मुकेश शर्मा, विधायक गुड़गांव |