सांकेतिक तस्वीर।
मुकेश शर्मा, रेवाड़ी। शहर की आटो मार्केट के समीप बेशकीमती खसरा नंबर 242 की जमीन पर प्रॉपर्टी आईडी बनवाने और उसमें छेड़छाड़ करने को लेकर पिछले दो साल में तीन बार प्रयास हुए। पहले दो प्रयास तो मेकर-चेकर द्वारा नगर परिषद की भूमि बताने पर विफल हो गए लेकिन 19 नवंबर की शाम इसी जमीन को मेकर-चेकर ने खसरा नंबर 242 से बाहर बता उसमें मालिक का नाम अपडेट कर दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
‘दैनिक जागरण’ के हाथ इससे संबंधित तीनों बार आब्जेक्शन को लेकर लगाए गए आवेदन और उसपर की गई टिप्पणी के साथ अस्वीकृत होने के स्क्रीनशाट लगे हैं। इससे आशंका है कि इस जमीन को हड़पने के लिए षड़यंत्र रचा गया। हालांकि इस मामले में डीसी अभिषेक मीणा की तरफ से चार अधिकारियों की जांच कमेटी गठित की जा चुकी है। कमेटी सोमवार से जांच शुरू कर सकती है।
दरअसल, खसरा नंबर 242 में तीन एकड़ से ज्यादा जमीन है। इस जमीन के काफी हिस्से में सालों से लोगों के कब्जे चले आ रहे हैं। कुछ जगह अभी भी खाली पड़ी हुई है, जिसकी भी रजिस्ट्रियां कराई जा चुकी हैं। जमीन पर कब्जाधारियों ने न केवल रजिस्ट्री करा ली, बल्कि कई लोगों ने प्रॉपर्टी आईडी तक बनवा ली। नगर परिषद के ही अधिकारी इसे 192-93 की चकबंदी में नप की मलकियत बता चुके हैं। उसके बाद भी जमीन को खुर्दबुर्द करने की कोशिशें की गई।
दो साल पहले एलए की रिपोर्ट की टिप्पणी के साथ अस्वीकृत
खसरा नंबर 242 से संबंधित प्रॉपर्टी आईडी से संबंधित पहली बार पोर्टल पर ऑनलाइन आब्जेक्शन का आवेदन 18 सितंबर 2023 को लगाया गया था। नप के एटीपी सुनील वर्मा ने एमई (चेकर) नरेश कुमार के पास यह कहते हुए भेजा कि कृपया स्पष्ट करें यह भूमि एमसी की है या नहीं।
प्रॉपर्टी आईडी रद करने का अधिकार मेरे क्षेत्र में नहीं है, क्योंकि अधिकृत और अनधिकृत क्षेत्र के लिए एनडीसी जारी की जानी है। दो दिन बाद चेकर नरेश कुमार ने टिप्पणी में लिखा कि ‘लीगल एडवाइजर अधिवक्ता अजीत सिंह की लीगल ओपिनियन ली गई थी, जिसमें उन्होंने बताया कि खसरा नंबर 242 का मालिकाना हक नगर परिषद के पास है।
ओपिनियन की कॉपी अटैच करने के साथ ही यह भी बताया कि इस भूमि की प्रॉपर्टी आईडी याशी कंपनी के सर्वे के दौरान बन गई थी। एलए रिपोर्ट के आधार पर आवेदन अस्वीकार किया जाना उचित होगा।’ अगले दिन 21 सितंबर कोे एटीपी सुनील वर्मा ने इस भूमि को एमसी के स्वामित्व बता अस्वीकार कर दिया। उसी दिन यह आवेदन अस्वीकृत हो गया।
दूसरी बार में डीएमसी व एसडीएम की जांच का हवाला
इसी खसरा नंबर 242 की प्रॉपर्टी आईडी को लेकर दूसरी बार आब्जेक्शन का आवेदन इसी साल चार सितंबर को किया गया। मेकर बलराज ने पोर्टल पर ‘यह संपत्ति खसरा नंबर 242 में आती है और यह मामला डीएमसी और एसडीएम के पास लंबित है।
यह संपत्ति एमसी भूमि में है, इसलिए इस फाइल को अस्वीकार किया जा सकता है।’ टिप्पणी के साथ चेकर बलवान के पास भेज दिया, जिन्होंने उसी दिन करीब 40 मिनट बाद उसे अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद आवेदन अस्वीकृत हो गया।
तीसरी बार में पांच मिनट में दोनों लेवल पर स्वीकृत
तीसरी बार छह दिन पहले 19 नवंबर को आब्जेक्शन का आवेदन लगा। शाम चार बजकर तीन मिनट पर मेकर अजय कुमार ने इस टिप्पणी के साथ चेकर बलवान को भेज दिया कि रजिस्ट्री संख्या 5149 (10 दिसंबर 2020) के अनुसार कृपया आवश्यक कार्रवाई करें। लेकिन यह संपत्ति खसरा नंबर 242 में गलत है।
इसलिए मालिक का नाम अपडेट किया जाए। चेकर बलवान ने पांच मिनट बाद ही मेकर की रिपोर्ट के आधार पर इसे स्वीकार कर दिया। हैरानी की बात यह है कि चेकर बलवान ने दो माह पहले मेकर द्वारा इसी जमीन को एमसी भूमि बताने पर अस्वीकार किया था। |