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सोनीपत में प्रदूषण के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई, 400 फैक्ट्रियों की जांच; 30 में मिली गंभीर खामियां

Chikheang 2025-11-22 01:37:44 views 86

  

सोनीपत में प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा अभियान चलाया।



जागरण संवाददाता, सोनीपत। जिले में प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए जिला प्रशासन ने शुक्रवार को सबसे बड़ा अभियान चलाया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 20 टीमों ने उपायुक्त सुशील सारवान और पुलिस उपायुक्त नरेंद्र कादियान के नेतृत्व में चार एसडीएम व 55 अधिकारियों के साथ दिनभर करीब 400 फैक्ट्रियों की सघन जांच की। सुबह जैसे ही टीमें विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में दाखिल हुईं, फैक्ट्रियों में हलचल तेज हो गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कई उद्योग संचालक दस्तावेज और रिकार्ड जुटाने में लगे रहे, जबकि कई इकाइयों में अचानक निरीक्षण से हड़कंप मच गया। जांच के दौरान 25 से 30 बड़ी फैक्ट्रियों में गंभीर खामियां मिली। दिनभर चली जांच की रिपोर्ट कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) को भेजी जाएगी, जिसके बाद प्रदूषण नियंत्रण मानकों पर खरा नहीं उतरने वाली वाली इकाइयों पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।

वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों एवं सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से लागू ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप-3) की पूर्ण पालना सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने शुक्रवार सुबह बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू की। उपायुक्त सुशील सारवान व पुलिस उपायुक्त नरेंद्र कादियान के नेतृत्व में जिले के चारों एसडीएम सुभाष चंद्र, गोहाना की एसडीएम गोहाना अंजलि क्षोत्रिय, एसडीएम खरखौदा डॉ. निर्मल नागर व एसडीएम गन्नौर प्रवेश कादियान की अगुवाई में 20 संयुक्त टीमें गठित की गईं।

इन टीमों में 55 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी व भारी पुलिस बल शामिल रहे। सुबह 7ः30 बजे राई रेस्ट हाउस में सभी अधिकारी व पुलिस बल एकत्रित हुए। उपायुक्त ने सभी टीमों को दिशा-निर्देश दिए और तत्काल कार्रवाई के लिए रवाना किया। निरीक्षण के दौरान उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण (स्क्रबर, फिल्टर), ईंधन के प्रकार (स्वच्छ ईंधन जैसे पीएनजी व सीएनजी का उपयोग), उत्सर्जन मानकों की पालना, अपशिष्ट प्रबंधन, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट एवं धूल नियंत्रण के सभी मानकों का निरीक्षण किया गया।

इस दौरान अपशिष्ट जल एवं ठोस कचरा प्रबंधन, धूल नियंत्रण के लिए कवरिंग एवं जल छिड़काव व्यवस्था भी देखी गई। जहां अनियमितताएं मिली उनकी रिपोर्ट सीएक्यूएम की टीम ने इकट्ठा की। जिन औद्योगिक इकाकइयों में खामियां मिली हैं उनमें सीलिंग, बिजली कनेक्शन कटौती, जुर्माना आदि अमल में लाने की सिफारिश की जाएगी।
पांच औद्योगिक क्षेत्रों में दिनभर चला अभियान

जिले के पांच औद्योगिक क्षेत्रों सोनीपत, राई, बड़ी, कुंडली व मुरथल के अलावा गन्नौर, नाथूपुर-सबौली, खरखौदा, बहालगढ़ और गोहाना रोड के औद्योगिक इलाकों में सुबह शुरू हुआ जांच अभियान देर शाम तक चलता रहा। सभी टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में जांच करती रही। अधिकारियों का कहना है कि वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है। जिन औद्योगिक इकाइयों पर प्रदूषण फैलाने के आरोप थे या जो निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे थे, उनमें टीमों ने सघन निरीक्षण किया। अधिकारियों ने कहा कि नियमों का पालन न करने वाली किसी भी इकाई को बख्शा नहीं जाएगा।
राई रेस्ट हाउस में बनाया था अस्थायी कंट्रोल रूम, लेते रहे पल-पल की जानकारी

राई रेस्ट हाउस को अस्थायी कंट्रोल रूम बनाया गया। यहां उपायुक्त सुशील सारवान व अन्य वरिष्ठ अधिकारी रीयल-टाइम जीपीएस ट्रैकिंग व वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पल-पल की जानकारी लेते रहे। गठित टीमों ने उन औद्योगिक इकाइयों का सघन निरीक्षण किया, जिन पर प्रदूषण फैलाने की आशंका थी और ग्रैप-3 के मानकों का उल्लंघन कर रही थी। इनमें प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की कार्यप्रणाली एवं रखरखाव की जांच की गई। गैर-साफ ईंधन (कोयला, फर्नेस आयल) के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध की पालना सुनिश्चित की गई। एमिशन टेस्टिंग व एक्यूआइ प्रभाव का मूल्यांकन भी किया गया।
ग्रैप-3 में यह हैं मानक

प्रदूषण नियंत्रण के प्रमुख उपायों में निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध, बीएस-3 पेट्रोल व बीएस-4 डीजल वाहनों पर चलने की मनाही, गैर-साफ ईंधन पर आधारित उद्योगों का संचालन बंद करना, डीजल जेनरेटरों का उपयोग सीमित करना, सड़कों पर यांत्रिक झाड़ू लगाना व जल छिड़काव बढ़ाना, कक्षा पांचवीं तक के स्कूलों में हाइब्रिड मोड में शिक्षा शामिल हैं। इन उपायों का उद्देश्य धूल, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण एवं अन्य स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को तत्काल कम करना है, जिससे एनसीआर में रहने वाले नागरिकों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।
अधिकारी करते रहे निरीक्षण, दफ्तर खाली

जिला प्रशासन और सीपीसीबी की संयुक्त कार्रवाई के दौरान प्रशासनिक अधिकारी दिनभर औद्योगिक इकाइयों में निरीक्षण करते रहे। इस दौरान कार्यालय खाली पड़े रहे, जिस कारण विभिन्न कार्यों के लिए आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोग कार्यालयों में अधिकारी के आने का इंतजार कर रहे, लेकिन घंटों इंतजार के बाद उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा।
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