LHC0088 • 2025-11-21 20:48:01 • views 913
दिल्ली में लाल किले के पास कार ब्लास्ट की जांच में लगी एजेंसी को कुछ बड़ा हाथ लगा है। जांच एजेंसी को “आतंकी डॉक्टर” मुजम्मिल शकील गनी के फरीदाबाद वाले ठिकाने से जुड़े नए और चौंकाने वाले सुराग मिले हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि इसी जगह से एक संगठित “व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल” की असेंबली लाइन चल रही थी, जिसमें रोजमर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को विस्फोटक तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
आटा चक्की से ‘बम फैक्ट्री’ तक
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला मुजम्मिल शकील गनी फरीदाबाद में एक आटा चक्की को केमिकल वर्कशॉप की तरह इस्तेमाल करता था। शकील दिल्ली ब्लास्ट केस में सह-आरोपी है। पुलिस और जांच एजेंसियों ने हरियाणा के फरीदाबाद में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से यह चक्की और उससे जुड़ा इलेक्ट्रिकल सेटअप बरामद किया, जहां मुजम्मिल किराये के कमरे में रहता था।
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फ्लोर मिल यानी आटा चक्की आम तौर पर गेहूं या चावल पीसने के लिए होती है, लेकिन इसमें लगे भारी रोलर और ब्लेड किसी भी ठोस पदार्थ को बारीक पाउडर में पीस सकते हैं। जांच में सामने आया है कि इसी मशीन से मुजम्मिल यूरिया और दूसरे केमिकल को पीसकर विस्फोटक बनाने के लिए मिक्सचर तैयार कर रहा था।
360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और केमिकल स्टॉक
दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके से ठीक पहले फरीदाबाद वाले कमरे से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए गए। पुलिस ने 9 नवंबर को यहां से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और दूसरी विस्फोटक सामग्री जब्त की, जो किसी बड़े मॉड्यूल के संकेत माने जा रहे हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, फरीदाबाद के धोज गांव में इस घर और आसपास के ठिकानों से जांच एजेंसियों ने कुल मिलाकर लगभग 3,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया, जो बताता है कि ये आतंकी मॉड्यूल कितने बड़े पैमाने पर किसी हमले की तैयारी कर रहा था।
रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि इन केमिकल का एक बड़ा हिस्सा एक मौलवी के गुप्त घर में छुपाकर रखा गया था, जहां मुजम्मिल ने महज 1,500 रुपए महीना किराये पर कमरा लिया हुआ था। जांचकर्ताओं का कहना है कि यह ‘ठिकाना’ ही इस पूरे टेरर नेटवर्क की रीढ़ था, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग शहरों में संभावित धमाकों के लिए होना था।
डॉक्टर से ‘टेरर मॉड्यूल’ तक का सफर
मुजम्मिल शकील पेशे से डॉक्टर था और फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा रहा, जहां से उसके कट्टरपंथी नेटवर्क और भर्ती की कहानी शुरू होती दिख रही है। जांच में सामने आया है कि उसने Covid-19 महामारी के बाद के समय में यहां जॉइन किया, वहीं उसके साथ ही उमर उन नबी नाम का एक और डॉक्टर/इंटर्न भी जुड़ा। उमर वही सुसाइड बॉम्बर था, जिसने लाल किले के बाहर i20 कार में ब्लास्ट किया था।
जांच एजेंसियों को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कमरे नंबर 13 (जहां मुजम्मिल रहता था) और उमर के कमरे नंबर 4 से कई डायरी, नोटबुक, और कोड में लिखे नोट मिले हैं। इनमें अलग-अलग तारीख, मोबाइल नंबर, नामों और “ऑपरेशन” शब्द के बार-बार लिखे जाने का जिक्र है, जिनसे संकेत मिलता है कि यह सिर्फ एक धमाका नहीं, बल्कि कई बड़े हमलों की योजना थी। डायरी में करीब 25-30 लोगों के नाम दर्ज पाए गए, जिनमें से ज़्यादातर जम्मू-कश्मीर, फ़रीदाबाद और आस-पास के इलाकों से जुड़े हैं, जो इस “व्हाइट कोट टेरर मॉड्यूल” की संभावित रुपरेखा दिखाते हैं।
‘व्हाइट-कॉलर’ नेटवर्क और आगे की जांच
एजेंसियों के अनुसार, रेड फोर्ट कार ब्लास्ट कोई अचानक की गई घटना नहीं, बल्कि कम से कम दो साल की प्लानिंग का नतीजा थी। आटा चक्की को “बम बनाने की मशीन” की तरह इस्तेमाल करना, किराये के सस्ते कमरे में भारी केमिकल स्टॉक छुपाकर रखना और यूनीवर्सिटी परिसर से नेटवर्क खड़ा करना—ये सब तयशुदा रणनीति का हिस्सा बताए जा रहे हैं।
फिलहाल जांच टीमें बरामद डायरी, डिजिटल डेटा, कॉल रिकॉर्ड और फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि इस मॉड्यूल का नेटवर्क कितने राज्यों तक फैला था और क्या दूसरे ‘स्लीपर सेल’ भी इसी तर्ज पर तैयार किए गए थे। सुरक्षा एजेंसियां इसे “व्हाइट-कॉलर टेरर” की नई और खतरनाक शक्ल मान रही हैं, जहां पढ़े लिखे प्रोफेशनल- जैसे डॉक्टर, अपने पेशे की आड़ में टेक्निकल स्किल का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए कर रहे हैं।
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