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धौलपुर-बीना रेलमार्ग पर AI कवच सिस्टम का काम शुरू, कोहरे में ट्रेन संचालन होगा आसान, सुरक्षित होगा सफर

LHC0088 2025-11-20 22:07:11 views 160

  

भारतीय रेल (प्रतीकात्मक चित्र)



डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। रेलवे ने ट्रेन टक्कररोधी और कोहरे के दौरान संचालन में मददगार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस कवच 4.0 प्रणाली का काम धौलपुर से बीना के बीच शुरू करा दिया है, जो मानवीय चूक से निपटने में सक्षम होगा। अभी स्वचलित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली आमने-सामने की टक्कर रोकने पर काम करती रही है, लेकिन कवच 4.0 कम दृश्यता में मददगार साबित होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

झांसी मंडल में धौलपुर से बीना के बीच 315.66 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग पर एआइ आधारित कवच स्थापित कर इसे इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। इसके लिए करीब 40 लांग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) टावर स्थापित किए जाएंगे। बीना से बबीना सहित अलग-अलग सेक्शन में खोदाई का काम शुरू कर दिया गया है।

दिल्ली-भोपाल रेल मार्ग पर पलवल से मथुरा के बीच कवच स्थापित कर टेस्टिंग भी हो गई है। धौलपुर-बीना रेलखंड पर यह काम एचबीएल इंजीनियरिंग और शिवाकृति इंटरनेशनल कंपनी को सौंपा गया है, जिन्हें 24 माह में कवच एक्टिवेट करके देना है। इस पर 240 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
स्वदेशी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है कवच 4.0

कवच 4.0 भारतीय रेलवे की स्वदेशी और विश्व स्तरीय स्वचलित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है। इसे सेफ्टी इंटेग्रिटी लेवल-4 (एसआइएल-4) के मानकों पर डिजाइन किया गया है, जो ट्रेन की सटीक लोकेशन ट्रैक करने में मदद करेगा। इससे टक्कर की संभावना समाप्त होगी। इसके लिए हर 10 किमी पर एलटीई टावरों में आप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और विद्युत आपूर्ति की जाएगी, जिसे ट्रेन और नियंत्रण प्रणाली के बीच रियल टाइम डेटा ट्रांसमिशन होगा और ट्रेनों के बीच दूरी मेंटेन करने में मदद मिलती है।

ट्रेन के इंजन में लगे कवच डिवाइस, स्टेशन कंट्रोलर और आरएफआइडी टैग के बीच दोतरफा संचार बना रहता है। आपात स्थिति में तुरंत ट्रेन रोकने का आदेश मिलता है। सिग्नल की अनदेखी होने या दूसरी ट्रेन पास आने पर स्वचलित ब्रेक लग जाता है। यह डिवाइस कोहरे के कारण कम दृश्यता में भी प्रभावी हैं।
इंजनों पर लगेंगे जीएनएसएस और रेडियो एंटिना

रेलवे ट्रैक के आसपास कवच 4.0 के अधोसंरचना व तकनीकी काम के साथ इंजन पर भी चार एंटिना लगाए जाएंगे। दो रेडियो एंटिना आगे और दो पीछे लगेंगे। इंजन के पहियों के पास पल्स जनरेटर और इंजन के नीचे आरएफआइडी रीडर लगेंगे, जो ट्रैक की आरएफआइडी को स्कैन करेंगे। इसमें दो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) भी लगाए जाएंगे, जिससे ट्रेन की सटीक लोकेशन मिलती रहेगी और कंट्रोल रूम तक डेटा पहुंचेगा।


कवच 4.0 टक्कररोधी प्रणाली AI से लैस है, इससे हादसे संभावना ना के बराबर] यात्री सुरक्षा पूरी तरह से सुनिश्चित हो जाएगी। धौलपुर-बीना रेलखंड में काम शुरू है। अगले दो साल में काम पूरा करना है।
- मनोज कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, रेल मंडल झांसी
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