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उत्तराखंड के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, डीआइटी यूनिवर्सिटी को भेजा नोटिस

deltin33 2025-11-21 02:37:34 views 968

  

सांकेतिक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने डीआइटी यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है। जिसमें यूनिवर्सिटी से वर्ष 2010 से 2017 के बीच छात्रों और छात्रवृत्ति से संबंधित विवरण मांगा गया है।

ईडी का नोटिस डीआइटी के चेयरमैन के नाम जारी किया गया है। नोटिस के साथ एक प्रपत्र भी संलग्न किया है, जिसके अनुसार जवाब के रूप में प्रपत्र में यूनिवर्सिटी से संबंधित ट्रस्ट/सोसाइटी और यूनिवर्सिटी संचालकों का विवरण दर्ज किया जाना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

साथ ही वर्ष 2010 से 2017 के बीच दाखिल एससी/एसटी छात्र-छात्रा, गतिमान पाठ्यक्रम, राज्य सरकार से आवंटित छात्रवृत्ति धनराशि आदि का पूरा विवरण उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके अलावा संस्थान के वर्तमान और पूर्व के सभी बैंक खातों और छात्रवृत्ति के क्रम में समाज कल्याण विभाग को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का ब्योरा भी मांगा है। इन सबके लिए संस्थान को 10 दिन का समय दिया गया है।
वर्ष 2011 से 2017 तक फर्जी दाखिले दिखाकर छात्रवृत्ति हड़पने से जुड़ा है प्रकरण

छात्रवृत्ति घोटाला मुख्य रूप से वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच एससी/एसटी छात्रों के फर्जी दाखिले के नाम पर करोड़ों रुपये की धनराशि हड़पने से जुड़ा है। घोटाला का आंकड़ा 500 करोड़ रुपये से अधिक बताया जाता है। यह अब कालेज संचालकों और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया।

नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर पहले हरिद्वार और देहरादून के संस्थानों की जांच के लिए एसआइटी गठित की गई थी और फिर अन्य आदेश में बाकी 11 जिलों के लिए दूसरी एसआइटी गठित की गई थी।

छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी ने कई मुकदमे दर्ज कर 100 से अधिक आरोपितों की गिरफ्तारी की थी। जिसमें समाज कल्याण विभाग के छह वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर शिक्षण संस्थानों के पदाधिकारी और दलाल तक शामिल रहे।

वहीं, ईडी ने हरिद्वार के सिडकुल थाने में दर्ज एफआइआर के आधार पर जांच शुरू की थी। जिसमें मुख्य रूप से वर्धमान एजुकेशनल सोसाइटी और उसके चेयरमैन शरद गुप्ता और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को आरोपित बनाया गया है। ईडी ने आगे जांच करते हुए दो आरोपितों की करीब 02 करोड़ रुपये की संपत्ति भी अटैच की।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत हिमाचल तक नेटवर्क

छात्रवृत्ति घोटाले का नेटवर्क उत्तराखंड से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश तक फैला है। जिसमें उत्तराखंड के साथ ही अन्य राज्यों के शिक्षण संस्थानों के पदाधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
केंद्र ने भेजी 92 संदिग्ध शिक्षण संस्थानों की सूची

केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही राज्य सरकार को 92 संदिग्ध शिक्षण संस्थानों की सूची भेजी थी। अब तक की जांच में 17 संस्थानों को गहरे संदेह के दायरे में रखा गया। पाया गया कि प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और मेरिट-कम-मींस छात्रवृत्ति योजना के तहत राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) से सीधे राशि छात्र-छात्राओं के खातों में भेजी जाती है।

लेकिन, कई संस्थानों, छात्रों ने वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान फर्जी दाखिले, गलत दस्तावेज और फर्जी खातों से सरकारी धन हड़प लिया। ऐसे में समझा जा सकता है कि अभी भी तमाम शिक्षण संस्थान कार्रवाई के दायरे से बाहर हो सकते हैं, जो देर-सबेर शिकंजे में आ जाएंगे।

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