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अल फलाह समूह के अध्यक्ष सिद्दीकी के पास भारत ...

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नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत को बताया है कि अल फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी के पास भारत से भागने के कई ‘‘कारण’’ हैं क्योंकि उसके परिवार के करीबी सदस्य खाड़ी देशों में बसे हुए हैं और उसने अपने ट्रस्ट द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों से ‘‘बेईमानी’’ से कम से कम 415 करोड़ रुपये की आय अर्जित की।
  सिद्दीकी को संघीय जांच एजेंसी ने मंगलवार रात फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय समूह के खिलाफ दिनभर की छापेमारी के बाद हिरासत में ले लिया था। यह विश्वविद्यालय 10 नवंबर को लाल किले के निकट हुए विस्फोट की जांच के केंद्र में है, जिसमें 15 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे।
  सिद्दीकी को बुधवार तड़के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान (साकेत अदालत) के आवास पर पेश किया गया, जहां एजेंसी ने हिरासत में पूछताछ के लिए उसकी 14 दिन की रिमांड मांगी। अदालत ने उसे एक दिसंबर तक 13 दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया।
  एजेंसी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी के निर्देशन में विश्वविद्यालय और उसके नियंत्रक ट्रस्ट ने झूठी मान्यता और मान्यता दावों के आधार पर छात्रों और अभिभावकों को बेईमानी से धन देने के लिए प्रेरित करके 415.10 करोड़ रुपये की आपराधिक आय अर्जित की।
  इसने दावा किया गया कि सिद्दीकी की गिरफ्तारी आवश्यक थी क्योंकि उसके फरार होने और जांच में सहयोग न करने की आशंका थी।
  ईडी ने अदालत को बताया, ‘‘आरोपी के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन और प्रभाव है और उसका गंभीर आर्थिक अपराधों का इतिहास रहा है। उसके करीबी रिश्तेदार भी खाड़ी देशों में बसे हुए हैं और उसके पास भारत से भागने के कई कारण हैं।
  उसने कहा, ‘‘मौजूदा आरोपों की गंभीरता (जिसमें अपराध से अर्जित आय सैकड़ों करोड़ रुपये आंकी गई है) और पीएमएलए के तहत संभावित परिणामों को देखते हुए यह आशंका वाजिब है कि अगर उसे गिरफ्तार नहीं किया गया तो वह फरार हो सकता है या प्रभावी पूछताछ के लिए अनुपलब्ध रह सकता है, अपनी संपत्ति और खुद को अधिकार क्षेत्र से बाहर कर सकता है और जांच में देरी या बाधा उत्पन्न कर सकता है।’’
  एजेंसी ने कहा कि सिद्दीकी संस्थापक और प्रबंध न्यासी है, जो अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट को ‘‘नियंत्रित’’ कर रहा था और अल फलाह विश्वविद्यालय तथा उसके संस्थानों पर वास्तविक प्रभाव रखता है।
  इसने आरोप लगाया गया कि सिद्दीकी से हिरासत में पूछताछ ‘‘अपराध से अर्जित आय’’ का पता लगाने और उसका आकलन करने के लिए आवश्यक थी, जिसमें आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आंकड़ों में अभी तक दिखाई नहीं देने वाली आय भी शामिल है और पीएमएलए के तहत समय पर कुर्की और जब्ती को सक्षम करने के लिए भी आवश्यक थी।
  ईडी ने यह भी दावा किया कि सिद्दीकी के पास विश्वविद्यालय और ट्रस्ट के तहत अन्य संस्थानों के प्रवेश रजिस्टर, शुल्क बहीखाता, खातों और आईटी प्रणालियों को संभालने वाले कर्मचारियों पर ‘‘नियंत्रण’’ है और वह ‘‘रिकॉर्ड को नष्ट या बदल सकता है।’’
  ईडी अदालत से सिद्दीकी की रिमांड मांगते हुए कहा कि पूरे अल फलाह शैक्षणिक तंत्र पर उसका नियंत्रण है और अब तक अपराध से अर्जित ‘‘415.10 करोड़ की राशि का केवल एक हिस्सा ही चिह्नित किया जा सका है।’’
  एजेंसी ने कहा कि 1990 के दशक से ही पूरा अल फलाह समूह “तेज़ी से उभरते हुए” एक बड़े शैक्षणिक संस्थान के रूप में विकसित हो गया है।
  सिद्दीकी के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है।
  अदालत ने ईडी को सिद्दीकी की 13 दिन की रिमांड देते हुए कहा कि उसकी गिरफ्तारी पीएमएलए प्रावधानों के अनुसार और अपराध की गंभीरता को देखते हुए की गई है तथा जांच अभी प्रारंभिक चरण में है।
  ईडी ने अल फलाह समूह के खिलाफ धन शोधन निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस की दो प्राथमिकियों का संज्ञान लिया है।
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