प्रताप नगर के सरकारी प्राइमरी स्कूल नहीं शिफ्ट हुआ आरओ, बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, बठिंडा। शहर के प्रताप नगर में चल रहे सरकारी प्राइमरी स्कूल में बच्चे कैसे पढ़ाई कर रहे हैं, इस बात का अंदाजा यहां से लगाया जा सकता है कि जगह की कमी के कारण एक क्लासरूम में जरूरत से ज्यादा बच्चे बैठने को मजबूर हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यहां तक कि स्कूल में आरओ लगा होने के कारण जगह की काफी कमी है। ऐसे हालातों में बच्चों को एक साथ बैठकर खाना भी नहीं खिलाया जा सकता, जिसके चलते उनको तीन शिफ्टों में अलग अलग बैठाकर खाना खिलाया जाता है।
प्रताप नगर के सरकारी प्राइमरी स्कूल को 1981 में स्थापित किया गया है, जिसमें इस समय 282 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। लेकिन यह स्कूल प्राइमरी सुविधाओं से भी वंचित है। यह स्कूल धर्मशाला में चल रहा है, लेकिन इसका नाम सरकारी प्राइमरी स्मार्ट स्कूल है।
स्कूल में केवल छह कमरे हैं। इस स्कूल में एक कमरा ऐसा भी है, जहां छात्रों को शिक्षा दी जाती है और इसमें स्कूल के मुख्याध्यापिका का कार्यालय भी है। शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौरान स्कूल के एक हिस्से में आरओ प्लांट स्थापित किया गया, जिससे स्कूल का स्थान ओर कम हो गया।
जबकि इस आरओ को शिफ्ट करने के लिए स्कूल अध्यापकों की ओर से कई बार अधिकारियों से गुहार भी लगाई गई है। जबकि तत्कालीन डीसी शौकत अहमद परे ने स्कूल में बने आरओ को शिफ्ट करने के लिए संबंधित अधिकारियों की मीटिंग कर आदेश भी जारी किए गए थे। लेकिन इसके बाद भी कोई हल नहीं हुआ। यहां तक कि नगर निगम के अधिकारी स्कूल का दौरा भी कर चुके हैं। मगर डीसी के तबादले के बाद सारा कुछ ठप हो गया।
स्कूल प्रबंधन की ओर से इस बारे में कई बार अधिकारियों को पत्र लिखे गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जबकि बठिंडा के विधायक भी स्कूल के हालातों को सुधारने को लेकर बात कर चुके हैं।
यहां तक कि बीती 18 जुलाई को सहायक कमिश्नर जनरल द्वारा एक बैठक की गई थी, जिसमें नगर निगम के अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने नगर निगम को निर्देश दिए थे कि उक्त स्थान से आरओ प्लांट हटाकर कहीं ओर लगाया जाए।
लेकिन उक्त आदेशों के 4 महीने बाद भी आरओ को हटाने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है। इसके अलावा स्कूल की छत्तें भी गिर रही हैं। हालात तो यह हैं कि स्कूल में छत्त पर जाने के लिए अध्यापकों को सीढ़ी लगानी पड़ती है।
यहां तक कि कमरों में कोई खिड़कियां या रोशनी नहीं है, जिस कारण गर्मी के दिनों में क्लासों में उमस होने के कारण आधे बच्चों को बरामदे में बैठना पड़ता है। स्कूल प्रबंधन ने मांग की थी कि इस स्थान से आरओ को हटाकर उक्त स्थान स्कूल को दिया जाए। |