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कानपुर के करोड़पति लेखपाल पर प्रशासन का शिंकजा, एंटी करप्शन विभाग को भेजा ये पत्र_deltin51

cy520520 2025-10-1 06:06:44 views 829

  तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे के खिलाफ जांच के आदेश। जागरण







जागरण संवाददाता, कानपुर। रिंग रोड परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण में करोड़ों रुपये का खेल करने वाले लेखपाल के खिलाफ प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। कानूनगो से पदावनत लेखपाल की बिल्हौर तहसील में तैनाती करने के साथ ही उसके खिलाफ एंटी करप्शन से जांच के लिए जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने पत्र भेज दिया है। वहीं कोतवाली में दर्ज मुकदमें में जल्द पुलिस चार्जशीट दाखिल करेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें





सिंहपुर कछार निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने फर्जी प्रपत्रों से चार बीघा जमीन बेचने की शिकायत दो दिसंबर 2024 को डीएम से की थी। जांच शुरू हुई तो तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे का नाम सामने आया। मुकदमा दर्ज होने के बाद जिलाधिकारी ने प्रारंभित जांच के बाद उसे 17 फरवरी 2025 को निलंबित कर दिया था। इसके बाद जिलाधिकारी ने एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली को शामिल करते हुए तीन सदस्यीय समिति गठित कर जांच शुरू कराई।



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जांच के दौरान पता चला कि आरोपित लेखपाल ने 41 बैनामे कराए हैं, जिनकी अनुमानित लागत 30 करोड़ रुपये स्टांप एवं निबंधन विभाग ने आंकी। वहीं भूमि अध्याप्ति विभाग में करीब 35 बीघा जमीन आलोक और उसके परिवार के सदस्यों के नाम दर्ज मिली। मुआवजे के एक करोड़ रुपये से ज्यादा आलोक और उसके परिवार के सदस्यों के खाते में गए। अन्य करीबियों के नाम पर जो जमीनें उसने खरीदी थी, उनकी जांच चल रही है। वहीं निलंबित लेखपाल को जिलाधिकारी ने पदावनत करने के साथ ही सदर से हटाकर बिल्हौर तहसील से तैनात कर दिया है। इस मामले में एंटी करप्शन विभाग को पत्र भेजकर आय से अधिक संपत्ति की जांच करने के लिए कहा गया है। जांच के बाद आरोपित लेखपाल के खिलाफ एंटी करप्शन विभाग अलग से मुकदमा दर्ज कराएगी।








सात सालों तक आरोपित लेखपाल रहा तहसील अध्यक्ष



आलोक दुबे वर्ष 1993 में लेखपाल के पद पर भर्ती भर्ती हुआ था। उसे पहली तैनाती इटावा में मिली। वर्ष 1995 में उसका स्थानांतरण कानपुर हो गया। उसे सदर तहसील में तैनाती मिली। इस दौरान वर्ष 2015 में 2022 तक लेखपाल संघ का अध्यक्ष भी रहा। वर्ष 2023 में उसे पदोन्नत कर कानूनगो बना था,जिसके बाद उसकी तैनाती नरवल तहसील में हुई थी, लेकिन तहसील में ज्वाइनिंग न करके वह उसने खुद को सदर तहसील से संबद्ध करा लिया था।badaun-general,Badaun news,inflammatory Facebook post,Badaun arrest,social media post,police action,communal tension,Bareilly violence,Musaazhag police,cyber crime,illegal weapon,Uttar Pradesh news   



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बिल्डरों का एजेंट बनकर करता था जमीन की खरीद-बिक्री





आरोपित लेखपाल शहर के बड़े बिल्डरों के एजेंट बनकर जमीन की खरीद-बिक्री का कार्य कर रहा था। पीड़ित अधिवक्ता संदीप सिंह ने बताया कि सिंहपुर कछार की गाटा संख्या 207 की उनकी जमीन है। 16 मई 2024 को आरोपित आलोक दुबे व लेखपाल अरुणा दुबे ने राजवती देवी व राजकुमारी देवी से 15 लाख रुपये में खरीदा और मात्र पांच माह बाद 19 अक्टूबर 2024 को आरएनजी इंफ्रा बिल्डर के मालिक अमित गर्ग को 24.75 लाख रुपये में बेच दी। इसी तरह रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 को 11 मार्च 2024 को 20 लाख में खरीदकर छह अगस्त 2024 को 32.50 लाख में बेच दी थी। इस मामले में पीड़ित अधिवक्ता ने सात मार्च 2025 को आरोपित लेखपाल, आरएनजी इंफ्रा के प्रोपराइटर अमित गर्ग समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जल्द ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जाएगी।









आरोपित लेखपाल के खिलाफ कई स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। विभागीय कार्रवाई के साथ ही आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए संबंधित एजेंसी को पत्राचार किया गया है। भ्रष्टाचार में संलिप्त आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

जितेन्द्र प्रताप सिंह, जिलाधिकारी


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