जागरण संवाददाता, बांदा। प्रधानमंत्री फसल बीमा में भी बैंक अधिकारियों ने खेल कर दिया। किसानों के केसीसी खाते से प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम तो काट लिया। लेकिन बीमा कंपनी को यह रकम ट्रांसफर नहीं की। लेकिन बारिश ने इस भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
केस-एक
बड़ोखर खुर्द के किसान सीताराम ने बैंक से केसीसी कार्ड बनवा रखा है। बैंक ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम से किसान के खाते से 2337.08 रुपये का प्रीमियम के नाम पर डेबिट कर लिया। बीते दिनों हुई वर्षा से जब धान की फसल बर्बाद हो गई तो उसने इसकी टोल फ्री नंबर पर शिकायत की। जिसमें पालिसी संख्या की आवश्यकता पड़ी जब बैंक में संपर्क किया तो गोल मोल जवाब दिया। जब उसने उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात कही तो बैंक अधिकारियों ने तत्काल 2337.08 रुपये किसान के खाते में क्रेडिट कर दिये।
केस-दो
तिंदवारी के पिपरगवां के किसान शिवराम सिंह ने अपना केसीसी आर्यावर्त बैंक तिंदवारी की शाखा से बनवा रखा है। इसमें बैंक ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम प्रीमियम के नाम पर 2632.98 रुपये खाता से डेबिट लिया। किसान की जब फसल बर्बाद होने में शिकायत के समय पालिसी संख्या मांगे जाने पर बैंक में संपर्क किया तो बैंक कर्मचारियों ने प्रीमियम का पैसा ही वापस कर दिया। ऐसे में किसान की फसल बर्बाद हो गई और मुआवजा भी नहीं मिल पाया।
मुआवजे के लिए दर्ज की शिकायत
बीते दिनाें बेमौसम बारिश से फसलों के नुकसान पर किसानों ने बीमा कंपनी को मुआवजे के लिए शिकायत दर्ज की तो इसके लिए पालिसी संख्या की जरूरत पड़ी। किसानों ने जब बैंक से पालिसी संख्या के लिए संपर्क किया तब जाकर खुलासा हुआ। ऐसे में सैकड़ों किसानों का लाखों रुपये प्रीमियम के नाम पर बैंक अधिकारियों ने डकार लिए। जिन किसानों ने बैंक अधिकारियों की इस करतूत की शिकायत उच्चाधिकारियों से की उनका पैसा बैंक ने लौटा दिया जबकि अन्य किसानों ने किस्मत का दोष देते हुए अगली फसल के बोने की तैयारी में जुट गए हैं। किसानों की फसलों का बीमा ही नहीं हुआ।
जिले में तीन लाख किसान
जिले में करीब तीन लाख किसान हैं, जो जायद के अलावा खरीफ व रबी फसलाें का उत्पादन करते हैं। इसमें से इस वर्ष किसानों ने खरीफ की फसलों में धान व तिल को करीब दो लाख हेक्टेयर में बुआई की थी। इसमें से करीब दो लाख से अधिक किसानों ने बैंकों से अपना किसान क्रेडिट कार्ड बनवा रखा है। जिसमें बैंकों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर किसानों के खाते से प्रीमियम काट लिया। लेकिन यह धनराशि जिले में किसानों की फसलों का बीमा कर रही कंपनी यूनिवर्सल सैंपों जनरल इंश्योरेंस कंपनी को ट्रांसफर नहीं किया। लिहाजा किसानों की फसलों के बीमा का पालिसी नंबर ही जनरेट नहीं हुआ।
इस तरह खुला पूरा मामला
बारिश के कारण जब धान की फसल बर्बाद हुई और किसानों ने फसल नुकसान को लेकर टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करवाई तो इसके लिए पालिसी संख्या की आवश्यकता पड़ी। पालिसी संख्या के लिए जब किसानों ने बैंक में संपर्क किया तो खुलासा हुआ। बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों की इस जुगल बंदी में किसान पिस गया। उसकी फसल बर्बाद हो गई, प्रीमियम भी चला गया। हालांकि बैंक अधिकारी इसको सर्वर फाल्ट मान रही है। जो भी हो आखिर किसान का ही नुकसान हुआ। इसमें जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई के साथ किसानों के फसल के नुकसान का मुआवजा भी देना चाहिए लेकिन आखिर इन किसानों के दर्द को सुनेगा कौन?
कई किसान अभी भी
यह तो उन किसानों की पीड़ा है जिन्होंने अधिकारियों से शिकायत करने की हिम्मत जुटाई और डीएम, कमिश्नर व मुख्यमंत्री पोर्टल आदि पर शिकायत की। सैकड़ों किसान ऐसे हैं जो अपनी किस्मत को दोष देते हुए बर्बाद फसल को खेतों से हटाकर नई फसल बोने की तैयारी में जुट गए हैं।हालांकि जो किसान बिना शिकायत किए फिर से नए फसल की तैयारी में जुट गए हैं वह ठीक ही किए हैं।क्योंकि इस समय अधिकारी आईजीआरएस की शिकायतों अपने मनमुताबिक आख्या लगाकर फर्जी तरीके से निपटा ले रहे हैं।
बैंक ने किसान के क्रेडिट कार्ड खाते से प्रीमियम काटकर यदि बीमा कंपनी को ट्रांसफर करती तो तुरंत पालिसी संख्या जनरेट हो जाती। इसमें किसान के खाते से पैसा काटा गया लेकिन बीमा कंपनी को भेजा नहीं गया।
विनीत विश्वकर्मा, जिला प्रबंधक
अभी अवकाश में हैं, लौटकर आते हैं देखते हैं क्या मामला है? कहां गड़बड़ी हुई है, जांच में गड़बड़ी होने पर जिम्मेदार पर कार्रवाई की जाएगी।
रवि शंकर, एलडीएम, अग्रणी बैंक, बांदा
ऐसे प्रकरण संज्ञान में नहीं हैं। फिर भी वह इसकी जांच करवाई जाएगी, जहां भी कमी या जो भी दोषी मिलेगा कार्रवाई की जाएगी।
जे.रीभा, जिलाधिकारी, बांदा |