गीता वाटिका रोड पर श्रीश्री सिंह वाहिनी दुर्गा पूजा नवयुवक समिति के तत्वावधान में बना स्वचालित मूर्ति का पंडाल। जागरण
शहर में नवरात्र का उल्लास अब चरम पर है। मां दुर्गा के भव्य पंडालों की सजावट इतनी मनमोहक है कि राह चलते लोग रुककर उन्हें निहारने लगते हैं। इस बार करीब 1300 प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है, और हर पूजा समिति अपनी-अपनी कल्पनाओं से पंडालों को साकार कर रही है। कहीं गुफा की रहस्यमयी छवि है, तो कहीं कैलाश पर्वत का अलौकिक रूप, तो कहीं रंग-बिरंगे झूमरों और बिजली की लाइटों की झिलमिलाहट ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पीपल डाढ़ा स्थित श्री श्री दुर्गा पूजा मां वैष्णो समिति का पंडाल भव्यता का उदाहरण बन चुका है। गुफा जैसी आकृति और एलइडी फसाड लाइट की जगमगाहट श्रद्धालुओं को वैष्णो देवी के दरबार का अनुभव कराती है। सौ से अधिक लोगों की टीम इसे तैयार कर रही है। पंडाल दिव्यता और भव्यता का अद्भुत संगम बन रहे हैं।
कूड़ाघाट का पंडाल इस बार आधे चांद के आकार के प्रवेशद्वार से लोगों का स्वागत करेगा। वहीं गिरधरगंज में कैलाशपरी महारानी के पंडाल को कृत्रिम फूलों, सुनहरे झूमरों और आकर्षक आकृतियों से सजाया जा रहा है। यहां की रोशनी और सजावट देखते ही बनती है, मानो श्रद्धालु कैलाश पर्वत की पावन भूमि पर पहुंच गए हों।
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सिघड़िया का पंडाल भी इस बार खास आकर्षण बना हुआ है। युवा गोल्डन छात्र समिति ने यहां विशाल और कलात्मक झूमर लगाए हैं। ये झूमर बिना रोशनी के भी भव्य दिखाई देते हैं और राहगीरों को ठिठक कर देखने को मजबूर कर देते हैं।
असुरन माई का पंडाल भी वैभव और शान से भरपूर है। समिति ने इस पर एक लाख रुपये से अधिक खर्च कर आकर्षक लाइटिंग और सजावटी संरचनाओं का जाल बिछा दिया है। बिजली की रोशनी और सजावट की चमक श्रद्धालुओं को दिव्यता का अद्भुत अनुभव कराती है।
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बेतियाहाता, रेलवे स्टेशन सहित अन्य जगहों पर बन रहे पंडालों में प्राकृतिक अनुभव कराने के लिए फूलों के अलावा पेड़- पौधे भी सजाए जा रहे हैं। हर पंडाल अपने भीतर भव्यता, आस्था और कला का ऐसा संगम समेटे है, जो श्रद्धालुओं को आनंद, शांति और भक्ति की अनोखी अनुभूति कराता है। मां के दरबार की सजावट इस बार नवरात्र में शहरवासियों के लिए अविस्मरणीय अनुभव बनने जा रही है।
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