पटाखा उद्योग के लिए जगी उम्मीद, अब आठ अक्टूबर के निर्णय पर टिकी निगाहें।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के पटाखा व्यवसायियों और पटाखा उद्योग में सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार को आए आदेश से त्यौहारी सीजन में उत्साह का माहौल है। इसने उनमें उम्मीद की नई किरण जगा दी है।
पटाखा व्यवसायियों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट से नियमों के तहत पटाखा निर्माण की मिली अनुमति, धंधे के गति पकड़ने का संकेत लेकर आई है, हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखा भंडारण और बिक्री पर रोक अभी भी जारी है। ऐसे में सभी की निगाहें अगली सुनवाई पर टिकी हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फायरवर्क्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (नार्थ इंडिया) के अध्यक्ष राजीव कुमार जैन ने कहा कि लंबे समय से दिल्ली में पटाखों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध ने हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया था। ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति से उद्योग को आंशिक राहत मिली है।
अब हमारी निगाहें आठ अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी हैं, इस दिन केंद्र की कार्ययोजना के आधार पर बिक्री और भंडारण पर व्यावहारिक निर्णय आ सकता है। यह फैसला प्रदूषण नियंत्रण और रोजगार के बीच संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।’panchkoola-state,hc,Haryana CET scam,High Court employee bribery,Haryana Staff Selection Commission,Common Eligibility Test Haryana,CET normalization process,Punjab and Haryana High Court,Haryana recruitment scam,Job racket Haryana,CET exam irregularities,Haryana government investigation,Haryana news
दिल्ली पखाखा उद्योग से पीढ़ियों से जुड़े परिवार के सदस्य और दिल्ली के बड़े पटाखा व्यवसायी महेश्वर दयाल श्रीवास्तव ने कोर्ट के आदेश पर मिश्रित प्रतिक्रिया देते हुए कहाकि, ‘वर्तमान आदेश से उद्योग पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध अभी भी लागू है।
ग्रीन पटाखों का निर्माण पहले से हो रहा है, लेकिन जब तक बिक्री की अनुमति नहीं मिलती, दिल्ली के उपभोक्ताओं तक कोई बदलाव-लाभ नहीं पहुंचेगा। पटाखों का बाजार तो दिल्ली ही है। उम्मीद जताई कि सरकार और कोर्ट मिलकर एक ऐसा समाधान निकालेंगे, जो पर्यावरण और उद्योग दोनों के लिए लाभकारी हो।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि आठ अक्टूबर तक एक ठोस कार्ययोजना पेश करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बाजार में सिर्फ मानक ग्रीन पटाखे ही उपलब्ध हों। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर आठ अक्टूबर तक एक ठोस कार्ययोजना पेश करे, ताकि प्रदूषण नियंत्रण और उद्योग के हितों में संतुलन बनाया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में पटाखों का मुद्दा न केवल त्योहारों की परंपराओं से जुड़ा है, बल्कि यह वायु प्रदूषण और छोटे व्यापारियों की आजीविका का भी सवाल है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध माफिया गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है, इसलिए संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है।
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