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डीयू ने पीएचडी पर्यवेक्षण पर पुनगर्ठित की समिति, समस्या सुलझने की उम्मीद; कॉलेज शिक्षकों पर ध्यान केंद्रित_deltin51

LHC0088 2025-9-27 14:06:10 views 1250

  डीयू ने पीएचडी पर्यवेक्षण पर पुनगर्ठित की समिति, समस्या सुलझने की उम्मीद





जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने पूर्व में जारी अधिसूचनाओं को निरस्त करते हुए पीएचडी. पर्यवेक्षण (सुपरविजन) से संबंधित पहलुओं पर विचार-विमर्श के लिए एक नई समिति का पुनर्गठन किया है। इस समिति का विशेष फोकस कॉलेज शिक्षकों की भूमिका पर रहेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



विश्वविद्यालय की सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद गठित इस समिति में विभिन्न संकायों के डीन, अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतःविषयक संकायों के प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के कार्यकारी एवं शैक्षिक परिषदों के सदस्य तथा कई महाविद्यालयों के प्राचार्य शामिल किए गए हैं।



डीयू के घटक कालेजों के शिक्षक लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि उन्हें विभागों की तरह पीएचडी सुपरविजन दिया जाए और इस मामले में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, यूजीसी के प्रविधान कहते हैं कि असिस्टेंट प्रोफेसर को चार, एसोसिएट को छह और प्रोफेसर को आठ पीएचडी सुपरविजन मिलें।Daily Numerology Horoscope, अंकज्योतिष राशिफल, दैनिक अंक ज्योतिष राशिफल, Numerology Horoscope, Numerology Horoscope 26 September 2025, 27 September 2025, mulank horoscope 26 September 2025, daily number astrology, September 2025 numerology guide, ank jyotish 27 September 2025, what your mulank says today, 27 September numerology analysis, 27 Sep   

इसके लिए असिस्टेंट प्रोफेसर को यूजीसी केयर और स्कोपस जर्नल में तीन शोध पत्रों का प्रकाशन जरूरी है। एसोसिएट व प्रोफेसर को पांच शोध पत्रों का प्रकाशन कराना होता है। जो शिक्षक चाहे वह कालेज के हों या डीयू के विभाग के समान रूप से इस दायरे में आना चाहिए।



डीयू के कुछ विभाग तो नियमों का पालन करते हैं। लेकिन, कई नहीं करते और इसके लिए एक निश्चित नियमावलि नहीं है। इसे समिति को जल्द से जल्द बनाना चाहिए। जैसे डीयू के फिजिक्स विभाग, अंग्रेजी विभाग और इकोनमिक्स विभाग ऐसे हैं, जो अतिरिक्त प्रविधान लगाते हैं।

इससे कालेज के शिक्षकों को पीएचडी पर्यवेक्षण नहीं मिल पाता। इससे वह शोध कार्यों में पिछड़ जाते हैं। इसका सीधा प्रभाव कालेज की ग्रेडिंग पर भी पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि सभी शिक्षकों के लिए एक निश्चित नियमावलि बनाई जाए।



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