नेकां ने अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।  
 
  
 
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। राज्यसभा चुनाव में भाजपा को घेरने के लिए पीडीपी भी नेकां के साथ जा सकती है। ऐसे में राज्यसभा चुनाव में समीकरण फिर बदल सकते हैं और भाजपा की चुनौती बढ़ सकती है।   
 
अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साध चुकी महबूबा मुफ्ती ने चुनाव में नेकां को साथ देने का वादा किया पर बदले में सरकारी और वन भूमि पर काबिज लोगों के लिए जमीन का अधिकार मांगा।   
 
यहां बता दें कि पीडीपी ने ‘जम्मू और कश्मीर भूमि अधिकार और नियमितीकरण विधेयक, 2025’ पेश करने की घोषणा है। इसे कुछ लोग इसे सरकारी जमीन की लूट की साजिश बता रहे हैं। चर्चा है कि नेकां भी ऐसा ही विधेयक विधानसभा में ला सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से बात हुई है  
 
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बताया कि उनकी नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से बात हुई है। उधर उमर अब्दुल्ला ने इस बातचीत की कोई भी जानकारी होने से इन्कार किया है। साथ ही यह भी जोड़ा कि जनहित के मुद्दे पर कोई बिल नहीं रोका जाएगा।  
 
आपको जानकारी हो कि राज्यसभा में रिक्त चार सीटों के लिए मतदान 24 अक्टूबर को होने जा रहा है। नेकां चार सीटों पर और भाजपा तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। समीकरण बता रहे हैं कि नेकां तीन और भाजपा एक सीट जीत सकती है। पर नेकां पीडीपी और निर्दलीयों को साथ लाकर भाजपा पर दबाव बढ़ाना चाहती है। ऐसे में महबूबा का बदला रुख भाजपा की चिंता बढ़ा सकता है। अभी तक कयास थे कि पीडीपी चुनाव में नेकां का समर्थन नहीं करेगी।  
मुख्यमंत्री ने किसी भी वादे को पूरा नहीं किया  
 
महबूबा ने कहा कि डा फारूक अब्दुल्ला ने फोन पर संपर्क कर राज्यसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन का आग्रह किया है। हमने इसके लिए भूमि नियमितकरण कानून और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की सेवाओं के नियमितीकरण का आश्वासन मांगा है। हालांकि महबूबा ने नेकां पर चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने किसी भी वादे को पूरा नहीं किया है। उमर अब अनुच्छेद 370 के बारे में बात नहीं करते।  
मैं इन बिलों के बारे में कोई बात नहीं कर सकता  
 
जम्मू में मीडिया से बातचीत में राज्यसभा चुनाव में नेकां के उम्मीदवारों के समर्थन के लिए महबूबा मुफ्ती द्वारा रखी गई शर्त से अनभिज्ञता जताते हुए उमर ने कहा कि मतदान न करना भी भाजपा की मदद करने जैसा ही है। अब महबूबा ने सदन में उनकी पार्टी के बिलों के समर्थन की शर्त रखी है पर मैं इन बिलों के बारे में कोई बात नहीं कर सकता। विधानसभा अध्यक्ष ही बता सकते हैं कि कौन सा बिल ही सदन में रखा जाएगा। मैं स्पीकर के अधिकारों में दखल नहीं दे सकता। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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