प्रमोद दुबे, अयोध्या। पगलाभारी (महाराणा प्रताप वार्ड) में गत वर्ष हुए विस्फोट में यदि पुलिस ने पिंटू की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया होता तो शायद छह लोगों की जान न जाती। पिंटू वही व्यक्ति है जिसकी पुत्री प्रियंका की मौत डेढ़ वर्ष पहले रामकुमार की आटा चक्की वाले मकान में हुए विस्फोट में मृत्यु हो गई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
परिजन बता रहे पुलिस की लापरवाही
उसी रामकुमार के मकान में दोबारा हुए विस्फोट के बाद प्रियंका के स्वजन अब चीख-चीख कर पुलिस की लापरवाही और अपनी पीड़ा बता रहे हैं। भाभी ममता ने तो साफ कहाकि कि विस्फोट के बाद जब पटाखा बनाने की सामग्री में विस्फोट से ही ननद प्रियंका की मौत की जानकारी दी तो पुलिस ने चुप कराते हुए कहाकि पटाखा नहीं सिलेंडर में विस्फोट होने की बात ही कहनी है, जबकि रेगुलेटर लगा गैस सिलेंडर पूरी तरह से सुरक्षित दूसरी मंजिल पर मिला था।
गत वर्ष 13 अप्रैल की शाम करीब तीन बजे पगलाभारी गांव स्थित रामकुमार गुप्त की आटा चक्की पर तेज धमाका हुआ था। इस धमाके में चक्की पर आटा लेने गई पिंटू की पुत्री प्रियंका के शरीर के चीथड़े उड़ गये थे, जबकि रामकुमार की मां शिवपती, पत्नी बिंदू, पुत्री इशी, पुत्र लव व यश गंभीर रूप से घायल हाे गये थे।
शिवपती को किया लखनऊ रेफर
पुलिस ने उन्हें जिला अस्पताल भेजवाया था, लेकिन चिकित्सकों ने शिवपती को लखनऊ रेफर कर दिया, जिनकी रास्ते में ही मृत्यु हो गई, जबकि पत्नी बिंदू ने तीन दिन बाद उपचार के दौरान लखनऊ में ही दम तोड़ दिया था। हालांकि पुलिस विस्फोट के बाद से ही प्रकरण और प्रियंका के स्वजनों को दबाती रही, लेकिन गुरुवार को दोबारा रामकुमार के मकान में ही हुए विस्फोट से दर्द ताजा हो गया, जिसमें तीन मासूमों समेत छह लोगों की मृत्यु हो गई।
इसके बाद से प्रियंका के स्वजन और पिता पिंटू कह रहे हैं कि पुत्री की मृत्यु के दूसरे दिन ही रामकुमार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी थी , लेकिन पुलिस तीन दिनों तक टालमटोल करती रही और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक इंतजार करने की बात कह रही है। जब स्वयं रिपाेर्ट लाकर दी तो भी मुकदमा दर्ज करने के बजाय प्रकरण को समाप्त कर दिया। इसी का नतीजा है कि यह भीषण विस्फोट हो गया। |