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Delhi NCR Pollution: 2023 के मुकाबले इस अक्टूबर अब तक राहत भरी हवा, लगातार हो रही बारिश रही बड़ी वजह

cy520520 2025-10-11 13:36:35 views 880

  

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में 2023 की तुलना में रही बेहतर।



जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। वायु प्रदूषण की समस्या से जूझते दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में इस अक्टूबर महीने में कुछ राहत के संकेत दिखाई दे रहे हैं। 2023 के मुकाबले इस साल प्रदूषण का स्तर काफी हद तक सुधरा है। इसकी बड़ी वजह समय-समय पर हो रही वर्षा को माना जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 के अक्टूबर में ग्रेटर नोएडा का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 240 तक पहुंच गया था, जो खराब श्रेणी में आता है। इसी दौरान नोएडा का एक्यूआइ 151 रहा, जो मध्यम से खराब के बीच था।

दोनों शहर ही येलो और आरेंज जोन में शामिल हो गए थे, जहां स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने संवेदनशील लोगों को आउटडोर गतिविधियां सीमित करने की सलाह दी थी। वाहनों के धुंए, औद्योगिक उत्सर्जन और पराली जलाने जैसी समस्याओं के कारण उस समय हवा की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई थी।

ग्रेटर नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर चला गया था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से कई गुना अधिक था। नोएडा में भी सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ गए थे, हालांकि, 2024 के अक्टूबर में स्थिति में सुधार देखा गया। ग्रेटर नोएडा का एक्यूआइ 136 तक सीमित रहा, जो येलो जोन में था, जबकि नोएडा का 120 दर्ज किया गया।

इस साल इस साल वायु गुणवत्ता सूचकांक में कमी आई और लोगों को साफ हवा नसीब हो रही है। यह कमी मुख्य रूप से मानसून की बची हुई वर्षा और हवा की गति के कारण हुई। मौजूदा अक्टूबर (2025) में भी यह रुझान जारी है। 10 अक्टूबर की सुबह तक ग्रेटर नोएडा का एक्यूआइ 182 रहा, जो येलो जोन में है, और नोएडा का 145 दर्ज हुआ।

सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने औसतन 20-25 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि चार अक्टूबर को शहर की हवा बिगड़ गई थी और एक्यूआइ आरेंज जोन में 227 तक पहुंच गया था। इसके बाद हुई वर्षा ने प्रदूषण के स्तर को धो दिया है। बारिश ने एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले सप्ताह हुई हल्की फुहारों ने पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर को नियंत्रित किया।

इसके अलावा, हरित प्रयास जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण ने भी योगदान दिया है। दीपावाली के आसपास पटाखा और पराली जलाने का मौसम आने पर स्थिति बिगड़ सकती है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी विकास मिश्रा का कहना हे कि वर्षा ने अक्टूबर में राहत दी, लेकिन लंबे समय स्वच्छ हवा का स्तर बनाए रखने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं।
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