चंद्र दर्शन कर देखा पति का चेहरा, खोला करवा चौथ का व्रत
जागरण संवाददाता, मुंगेर। अखंड सुहाग की कामना को लेकर महिलाओं ने शुक्रवार को करवा चौथ का व्रत रखा। निर्जला रहकर शिव परिवार, गणेश, कार्तिक, माता पार्वती सहित चंद्रदेव का पूजन फल, मेवा, मिठाई आदि का भोग लगाकर किया। व्रत कथा के श्रवण के बाद चंद्र दर्शन कर पति का चेहरा देख उनके हाथों पानी ग्रहण कर व्रत खोला। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने विशेष श्रृंगार किया। कई जगहों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से व्रत पूजन कर इस व्रत का विधान पूरा किया। गौरतलब है कि करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है। इसे चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी या करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
प्रेम, विश्वास और समर्पण का त्योहार
करवा चौथ का यह व्रत पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक माना जाता है, जिसे महिलाएं पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाती हैं।
शुभ मुहूर्त में पूजन, चंद्र दर्शन
पंचांग के अनुसार शुक्रवार को करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त शाम पांच बजकर 57 मिनट से शाम सात बजकर 11 मिनट में महिलाओं ने पूजन किया। रात आठ बजकर 13 मिनट में चंद्र दर्शन कर व्रत खोला।
अखंड सौभाग्य की देवी पार्वती की पूजा
इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त है, इसलिए महिलाएं भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखती हैं।
चंद्र दर्शन से नष्ट होते सभी पाप
करवा चौथ का व्रत चंद्रमा को देखकर खोलने के पीछे का मुख्य कारण यह है कि चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप होते हैं। उनकी पूजा और उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु के भी प्रतीक हैं। इसलिए महिलाएं इनकी पूजा कर ये सभी गुण अपने पति के लिए पाने की प्रार्थना करती हैं। |