पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक व्यक्ति ने नशे में अपनी पत्नी के वकील पर हमला कर दिया (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक नशे में धुत एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के वकील पर कोर्ट परिसर में ही हमला कर दिया। इस घटना को अदालत ने बेहद गंभीरता से लिया और तुरंत हस्तक्षेप करते हुए दंपति के दोनों नाबालिग बच्चों की अंतरिम कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
साथ ही, चंडीगढ़ प्रशासन को महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। सुनवाई के दौरान जस्टिस अलका सरीन ने अपने आदेश में कहा कि लंच ब्रेक के दौरान प्रतिवादी (पति) ने याचिकाकर्ता पत्नी की वकील पर हमला कर दिया। वकील ने अदालत को बताया कि आरोपित पूरी तरह नशे में था। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस को बुलाया गया, जिसने मौके पर पहुंचकर आरोपित को हिरासत में ले लिया।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सरतेज नरूला ने कोर्ट को बताया कि आरोपित व्यक्ति को पुलिस ने कस्टडी में ले लिया है और वकील का बयान दर्ज किया जा रहा है। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि पीड़ित वकील को हरसंभव सहायता दी जाएगी और बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति का एक सदस्य व्यक्तिगत रूप से साथ देगा।
जस्टिस अलका सरीन ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी पति को कोर्ट में प्रवेश के लिए कोई पास जारी नहीं किया गया था। इससे यह सवाल खड़ा हुआ कि आरोपित कोर्ट परिसर में कैसे पहुंच गया। इस पर बार अध्यक्ष ने कहा कि अब ऐसे उपाय किए जा रहे हैं ताकि बिना पास या आरएफआइडी कार्ड के किसी को भी अदालत में प्रवेश न मिले। हाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल अनुशासनहीनता का नहीं बल्कि सुरक्षा और न्यायिक गरिमा का भी है।
जस्टिस सरीन ने कहा कि इस अदालत के लिए यह अत्यंत चिंता का विषय है कि तीनों नाबालिग बच्चे अदालत में उपस्थित थे। जब अदालत ने बच्चों से बातचीत की, तो वे दोनों बच्चे, जो अपने पिता के पास थे, उन्होंने अपनी मां के साथ जाने की इच्छा व्यक्त की। घटना की गंभीरता और प्रतिवादी पति के अनुचित आचरण को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अंतरिम तौर पर दोनों बच्चों की कस्टडी मां बलजीत कौर को सौंपने का आदेश दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि जब तक अगला आदेश नहीं दिया जाता, बच्चों की सुरक्षा और देखभाल की पूरी जिम्मेदारी मां की होगी। हाई कोर्ट के निर्देश पर चंडीगढ़ प्रशासन ने आश्वासन दिया कि महिला और बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल मुहैया कराया जाएगा। प्रशासन ने यह भी कहा कि यदि महिला को किसी भी प्रकार का खतरा महसूस होता है तो तुरंत पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
आरोपित पति पहले भी अदालत के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा था। उसे निर्देश दिया गया था कि वह दोनों नाबालिग बच्चों को उनकी मां के घर लेकर जाए ताकि वे अपनी बड़ी बहन के साथ कुछ समय बिता सकें, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
इस पूरे घटनाक्रम पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया और कहा कि इस तरह की हरकतें न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी तरह की लापरवाही या अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को तय की गई है। |