तमिलनाडु दवा परीक्षण: CAG रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से कई बच्चों की जान गई है। इस मामले ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। अब इस मामले में जांच शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश के साथ कई राज्यों में इस दवा पर बैन लगा दिया दया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन सब के बीच दवाओं की टेस्टिंग को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने पिछले साल की तमिलनाडु में दवा टेस्टिंग में भारी कमी की ओर इशारा किया था। अब कोल्ड्रिफ कफ सीरप से हुई नौनिहालों की मौत के बाद इस खुलासे ने लोगों के कान खड़े कर दिए हैं।
2024 की CAG रिपोर्ट में क्या कहा गया?
गौरतलब है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर सामने आई CAG की रिपोर्ट में औषधि निरीक्षण और नमूने उठाने के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कमियों को दर्शाया था। ये रिपोर्ट 10 दिसंबर 2024 को सामने आई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, 2016-17 में तमिलनाडु में 1,00,800 जांच का लक्ष्य रखा गया था; हालांकि, केवल 66,331 निरीक्षण ही किए जा सके थे। जिसका सीधा मतलब है कि टारगेट से 34 प्रतिशत कम जांच हो पाई थी। वहीं, करीब तीन साल बाद 2020-21 में दवाइयों की जांच के लिए जो टारगेट रखा गया उसमें 38 प्रतिशत की कमी देखने को मिली थी।
इस अवधि के दौरान, 1,00,800 निरीक्षण किए जाने थे, लेकिन केवल 62,358 निरीक्षण ही किए गए। हैरान करने वाली बात है कि 2019-20 के दौरान सबसे ज्यादा 40% की कमी दर्ज की गई। वहीं, 2020-21 में यह कमी 54% दर्ज की गई।
औषधि निरीक्षण बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया
बता दें कि दवाओं जहां बनती हैं, उस दौरान इस इसकी टेस्टिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और मिलावट को रोकना है। बता दें कि ये जांच औषधि निरीक्षकों द्वारा की जाती है। वहीं, उनकी मंजूरी के बाद ही खुदरा दुकानों और क्लीनिकों तक दवाएं पहुंचती हैं। |