हिमाचल में सड़कें बहाली व स्थिति सामान्य होने पर होंगे पंचायत चुनाव
-मुख्य सचिव ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी किए आदेश, चुनाव आयोग ने उठाए सवाल
-मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला के उपायुक्तों ने पंचायती राज विभाग से किया था आग्रह
सरकार का पक्ष : किसी भी मतदाता को सड़क बंद होने से मतदान से वंचित न रहना पड़े
आयोग का कहना : अभी शेड्यूल भी जारी नहीं, क्या तीन माह बाद सड़कें बहाल नहीं होंगी?
राज्य ब्यूरो, जागरण l शिमला : हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव भारी वर्षा और आपदा के कारण जर्जर व बंद सड़कों के बहाल होने व स्थितियां सामान्य होने पर ही होंगे। इस संबंध में मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष राज्य कार्यकारी समिति आपदा प्रबंधन संजय गुप्ता ने वीरवार को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आदेश जारी किए हैं। हालांकि, इस निर्णय पर हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने सवाल उठाए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राज्य निर्वाचन आयुक्त अनिल खाची ने \“दैनिक जागरण\“ को बताया कि चुनाव कराना राज्य निर्वाचन आयोग का कार्य है और निर्णय भी उसी का होगा। यदि कोई स्थिति है तो मांग की जा सकती है आयोग विचार करता। खाची ने यह भी कहा कि अभी चुनाव का शेड्यूल जारी नहीं हुआ है और यदि चुनाव तीन माह बाद होने हैं, तो क्या तब तक सड़कें बहाल नहीं होंगी? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 1995 से लेकर अब तक इसी समय में चुनाव होते आ रहे हैं, इसलिए हिमपात को लेकर कोई विशेष समस्या नहीं होनी चाहिए।
मुख्य सचिव द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, पंचायत चुनाव दिसंबर और जनवरी में प्रस्तावित हैं, लेकिन शीतलहर के दौरान चुनाव कराना कठिन हो सकता है। इस समय राज्य के अधिकांश हिस्से भारी हिमपात और ठंड की चपेट में रहते हैं, जिससे मतदान दलों और चुनाव सामग्री की आवाजाही में बाधाएं आती हैं। इस संदर्भ में मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला जिलों के उपायुक्तों ने सचिव पंचायती राज को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि जब तक सभी संपर्क सड़कों की मरम्मत और यातायात सुचारू नहीं हो जाता, तब तक चुनाव न कराए जाएं। उनका कहना है कि इससे कोई भी मतदाता सड़क बंद होने के कारण मतदान से वंचित नहीं रहेगा। हिमाचल में कुल 3577 पंचायतें हैं।
अधिसूचना में आपदा से नुकसान का जिक्र
अधिसूचना में आपदा से हुए नुकसान का भी जिक्र है। मानसून के दौरान राज्य में 47 बादल फटने, 98 अचानक बाढ़ और 148 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं में 270 लोगों की मौत हुई। 198 लोग सड़क हादसों में मारे गए। 1,817 मकान पूरी तरह तथा 8,323 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए, जिसके कारण कुल 5,426 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
राज्य निर्वाचन आयोग कर रहा था तैयारी
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ कर दी थी। इस समय मतदाता सूचियों को अपडेट करने का कार्य चल रहा है, जिसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़े जा रहे हैं। आयोग चुनाव के लिए मतपत्रों की छपाई और अन्य तैयारियों में जुटा हुआ है।
अभी तक जारी नहीं किया आरक्षण रोस्टर
अभी प्रदेश में गिनी चुनी पंचायतों और शहरी निकायों में चुनाव को लेकर आरक्षण रोस्टर जारी किया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग तीन बार आरक्षण रोस्टर जारी करने के लिए लिख चुका है लेकिन जिलों के स्तर पर इसके लिए अभी कुछ नहीं किया गया।
प्रदेश के कुछ उपायुक्तों ने प्राकृतिक आपदा को देखते हुए पंचायत चुनाव अभी नहीं करवाने का अनुरोध किया था। इसी के मद्देनजर ग्रामीण सड़कों के पूरी तरह बहाल होने तक पंचायत चुनावों को स्थगित किया है।
-संजय गुप्ता, मुख्य सचिव।
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भारी हिमपात की बात की गई है, जबकि 1995 से लेकर इसी समय चुनाव होते हैं। तीन माह पूर्व ही इस तरह के आदेश जारी करना समझ से परे है। चुनाव करवाना आयोग का काम है। बच्चे स्कूल जा रहे तो उनके अभिभावक भी मत डाल सकते हैं वहीं पर।
-अनिल खाची, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग। |